पिछले कुछ समय से कोरोना के कारण काफी मरीजों की जान गई हैं ऐसा ऑफिशियल आंकड़ों में दावा किया गया हैं, और कुछ राज्यों की सरकारों ने फिर से कुछ दिनों के लिए लॉकडाउन भी लगाया हैं जो की आम जनता और मध्यम वर्ग की कमर तोड़ने जैसा है इस समय पर। पिछले साल के बाद अब लोगो की जिंदगी थोड़ा पटरी पर आना शुरू हुई थी और फिर से ये कर्फ्यू का निर्णय जिंदगी की लाइन को पटरी से उतार देगा, फिर से पिछले साल की तरह हालत होने का अंदेशा होने के कारण कई बड़े शहरों से मजदूर वर्ग पलायन करना शुरू कर चुके हैं जो की एक चिंताजनक विषय हैं।
15 दिन पहले तक ना तो कोरोना का कहीं नाम था और ना ही अस्पतालों में इतनी मौतें हो रही थी अब अचानक से इस ग्राफ का निरंतर बढ़ना एक चिंता का विषय है, जिस पर विचार करना जरूरी है अगर कोरोना का बचाव वैक्सिनेशन ही है तो उस काम पर सरकारों को ज्यादा जोर देना चाहिए, अभी दो-चार दिन पहले ही भारत के जैव वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च मैं दावा किया है की गर्मी के मौसम में कोरोना के मामलों में वृद्धि होने का कारण इस समय जो कोरोना मरीज है अगर वह श्वास भी लेते हैं तो उनके जो जैविक विषाणु है वह आसपास के वायुमंडल में प्रवेश कर जाते हैं जिसके बाद अगर कोई बिना मास्क पहने व्यक्ति उन विषाणुओं के संपर्क में आकर संक्रमित हो सकता है इसीलिए मास्क पहनना जरूरी है आप जब भी घर से बाहर निकले तो जरूर पहले।
इस महामारी की आड़ में मेडिकल माफिया और कुछ राजनेताओं की मिलीभगत से मानव अंगों की अवैध तस्करी के मामलों में वृद्धि हुई है कई जगहों पर देखा गया है कि जिन मरीजों की मौत कोरोना से हुई है उनके शरीर के साथ भी छेड़छाड़ की गई है अर्थात उनके शरीर का पोस्टमार्टम किया गया है और उनके शरीर से अंग निकाल लिए गए। इसका मतलब है कि कोरोना के नाम पर मेडिकल माफिया ने ऐसा वातावरण बना दिया है कि इनका कारोबार चलता रहे।
आज माहौल ऐसा हो गया है कि अगर आप अस्पताल जाते भी हैं तो आप जिंदा वापस आ जाएंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है क्योंकि मेडिकल माफिया को अपने पैसे बनाने से मतलब है और नेताओं को अपनी सरकार बचाने से और कोरोना के नाम पर अपनी सरकारों की कमियां छुपाने से इस समय पर कर्फ्यू लगा कर कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री अपनी कमी छुपा रहे हैं 1 तरीके से हम मानते हैं की इस समय पर यह चुनावी रैलियां भी नहीं होनी चाहिए। इन पर भी चुनाव आयोग को तुरंत प्रभाव से रोक लगानी चाहिए।
जब कुंभ मेले के आयोजक कर्ताओं को इस महामारी के विस्तार का आभास हुआ तो उन्होंने भी साधुओं से राय लेकर 13 दिन पहले ही कुंभ मेले का समापन कर दिया। यह उनका देश के हित में लिया गया अच्छा निर्णय है नहीं तो कोरोना के मामलों में और भी वृद्धि होने की संभावना थी परंतु अभी ताजा ही एक और उदाहरण है किसी और धर्म के लोगों के एक जगह पर इकट्ठा होने का और इनका उद्देश्य इकट्ठा होना कोई धार्मिक कार्य के लिए नहीं था बल्कि किसी इंसान को मारने के लिए सारे इकट्ठा हुए थे और आप सोचिएगा जरूर की लाखों की संख्या में बिना पूर्व जानकारी के इकट्ठा होने के बाद भी कोई प्रशासनिक कार्यवाही नहीं हुई जबकि उस जगह पर खुलेआम किसी दूसरे धर्म को गालियां किसी को मारने की बातें एक तरीके से माहौल को बिगाड़ने की और दंगों की आग में झोंक देने की साजिश खुलेआम हो रही थी।
इस समय के हालात में लाखों की संख्या में इकट्ठा होना क्या कोरोना को खुला निमंत्रण नही हैं।
मेरी नजरों में इस समय कोरोना के नाम पर ज्यादा डराया जा रहा है। वास्तविकता में यह मीडिया चैनलों द्वारा आम जनता को किन्ही और मुद्दों से भटकाने का प्रयत्न किया जा रहा है क्योंकि आप समाचारों में जो भी देखते हैं उसका आपके ऊपर मानसिक प्रभाव रहता है। मीडिया कोरोना को इस तरीके से बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहा है जैसे कल ही प्रलय आने वाली है और आज ही सब कुछ खत्म होने वाला है, अरे अगर खुद सावधानी रखोगे तो बीमार कैसे हो जाओगे??, अगर इस महामारी से खुद को बचा कर रखने के लिए सावधानी बरतते रहोगे तो फिर तुम इस महामारी से बचे रहोगे यह सब जानते हैं परंतु फिर भी सावधानी नही रखते।
अभी कुछ दिन पहले महाराष्ट्र से एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक मरीज के भाई ने दावा किया था कि उसका भाई जिंदा था परंतु अस्पताल के डॉक्टर ने उसे कोरिया से मृत घोषित कर दिया था।
मरीज ने भी बाद में एक वीडियो में आकर इस बात को सत्यापित किया था कि वह कुछ तकलीफ होने के कारण अस्पताल गया था और वहां पर उसका कोरोना टेस्ट किया गया, जिसके बाद उसे पॉजिटिव बता कर कोरोना वार्ड में भर्ती कर लिया था।
उसके भाई ने बताया कि “शाम को डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था और जब मैं उसकी लाश लेने गया तो मैंने देखा कि उसकी सांसे चल रही है उसका दिल धड़क रहा है तो मैंने वहां उपस्थित नर्स से इस बारे में बात की तो नर्स ने कोई रिप्लाई नहीं दिया। इसके बाद मैंने वहां पर डॉक्टरों से भी बात की वहां पर बहुत हंगामा भी हुआ परंतु फिर भी किसी से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला आज मेरा भाई स्वस्थ है यह तो उसका अच्छा भाग्य था तो मैंने समय रहते देख लिया था कि उसका दिल धड़क रहा है, ना जाने मेरे भाई के जैसे कितने ही और लोग होंगे जिन को मृत घोषित कर दिया जाता है और उनके अंगों को निकालकर कारोबार किया जा रहा है।”
कर्फ्यू लगाना इस समस्या का कोई हल नहीं है लोगों को खुद से जागरूक होना पड़ेगा और खुद की सुरक्षा खुद से करनी पड़ेगी अन्यथा कितना ही कर्फ्यू लगा लो लोग ऐसे ही मरते रहेंगे क्योंकि भारत की जनता मूर्ख है यह नेताओं की बातों में खुद का दिमाग लगाए बिना विश्वास करती है मीडिया जो बता दे वही अधिकांश लोगों लिए सत्य हैं।
मुझे ऐसा लग रहा है कि आने वाले कुछ समय में देश की मीडिया में आपको कुछ नए समाचार देखने को मिल सकते हैं उस समय पर आप भी अंदाजा लगा पाएंगे कि आज के समय में कोरोना के नाम पर यह लॉकडाउन और यह झूठी हवाबाजी क्यों की जा रही है यह केवल एक स्टंट है जनता का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटकाने का और उन्हें पशोपेश में रखने का।
यह समय आपस में आरोप प्रत्यारोप का न होकर व्यक्तिगत हित से ऊपर उठकर देश के बारे में सोचने का हैं। इस समय कर्फ्यू लगाने से देश के मध्यम वर्ग की कमर बुरी तरह टूट जायेगी। सरकार दारू के ठेके को खोलने की परमिशन दे रही है, क्योंकि इनसे उन्हें पैसा मिलता हैं, आम जनता क्या टैक्स नहीं देती?? उनकी सुरक्षा के लिए अस्पतालों में बेड की कमी हैं ऑक्सीजन सिलेंडर नही मिल रहे हैं इसका क्या कारण हैं?? भारत में ना तो अस्पतालों की कमी है और ना ही ऑक्सीजन गैस निर्माताओं की तो इस कमी का कारण क्या है कहीं ना कहीं कुछ आंतरिक कारण जरूर है जिनसे सरकारें भी भयभीत हैं और इस कोरोना महामारी के मुद्दे को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जा रहा है, ताकि जब जनता इनसे राज्य और देश के विकास के बारे में बात करें तो मुखिया कोरोना का बहाना बना दें मध्यम वर्ग कि कमर तोड़ कर आप देश का निर्माण कैसे करोगे?? क्योंकि देश की आधी से ज्यादा जनता मध्यम श्रेणी में आती है। जो लोग रेगुलर काम करके अपना जीवन यापन करते हैं उनका खाना और बाकी खर्चा कौन देगा क्या जिन सरकारों ने लॉकडाउन लगाया है वह उनका इतने दिन का खर्चा निकाल पाएंगे या उनको रोजगार दे पाएंगे।
जब से यह महामारी शुरू हुई है तब से लगातार इसके आंकड़ों में हेराफेरी के मामले सामने आते रहे हैं पिछले कुछ समय से कोरोना के कारण मौत के मामलों में आंकड़े ज्यादा बढ़े हैं। एक पूरी तरह स्वस्थ व्यक्ति करीबन 5 से 6 घंटे में मर जाए ऐसा संभव तो नहीं,
ऐसी मृत्यु होने पर उसके बारे में डॉक्टर भी कोई विस्तृत जानकारी नहीं दे पा रहे हैं जिससे मौत के वास्तविक कारण का पता लगाना लगभग असंभव सा हो रहा है।
इसी कारण किसी ना किसी रूप से इस समय पर इतनी मौतें होना मुझे असंगत सा लग रहा है। मेरी नजरों में इस समय पर मेडिकल माफिया अपनी चरम पर है, और वो इस महामारी का लाभ उठाकर लोगों का फायदा उठाकर उनके अंग निकाल रहे हैं और उनकी मौत को इस महामारी का नाम चिपका दे रहे हैं।
यह बहुत ही अमानवीय कृत्य है जिनको कलयुग का भगवान कहा जाता है, जब वही प्राण लेने लग जाए तो फिर बचा ही क्या है?? जो व्यक्ति दिन में सुबह पॉजिटिव होता है दोपहर में वह नेगेटिव हो जाता है और यह ज्यादातर उन लोगों के साथ हो रहा है जिनके कोई न कोई जान पहचान है, चाहे वो अस्पताल में हो या फिर राजनीति और जिनकी कोई जान पहचान नहीं है उनका नाम फिर कोरोना के कारण हुई मौत के आंकड़ों में शामिल हो जाता है इस समय पर मौत का यह खेल बहुत ही घिनौना है और इसका अंजाम इन लोगों को भुगतना पड़ेगा।
राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार मानव अंगों की अवैध तस्करी के मामले पर चुप्पी साधे बैठी हुई है जिसके कारण इन लोगों का डर खुल चुका है और यह पूरी तरीके से खुलेआम धड़ल्ले से अपना कारोबार कर रहे हैं।
जय हिंद जय भारत
#stayhome #staysafe