राजस्थानी में एक कहावत है कि “डूंगर बलती लाय दिख जाय, पर बाड़ बल्ती कोनी दिखे”
यही हालत आज राजस्थान सरकार में हो रखी हैं दूसरों की हजारों गलतियां गिनवाने में लगे हैं परन्तु खुद ने राजस्थान में हाहाकार मचा रखा है उसके बारे में इन पालतू कुत्तों की जबान तक नहीं खुलती।
एक डेकोरेटेड पोलीस ऑफिसर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो जाती हैं जिसका इल्जाम एक विधायक पर लगता है, सबूतों के हिसाब से राजनीतिक दखल की पुष्टि विष्णुदत्त विश्नोई की हत्या में हैं ये साबित हो चुका हैं परन्तु फिर भी सिस्टम को अपने हाथो की कठपुतली बनाकर राजस्थान के गांधी कहलाने वाले ने गांधी के सिद्धांतो को ही छोड़कर अपनी पॉवर के दम पर अपराधियों का साथ दिया।
जब एक जिम्मेदार वकील ने गहलोत सरकार के खिलाफ आवाज उठाई तो उसको वांछित अपराधी घोषित कर दिया, उसके घर जों कि पंजीकृत हैं उसको तोड़ने के लिए सरकारी अधिकारियों को आदेश से दिए।
आपसी मतभेद होने के कारण जो पार्टी में गहलोत गुट ओर पायलट गुट में दरार पड़ी थी उसका ठीकरा जान बूझ कर केंद्र सरकार के ऊपर फोड़ दिया ओर खुद को बचा लिया।
जनता के खून पसीने की कमाई से दिए गए टैक्स के पैसों से इन दो कोड़ी के नेताओ को होटलों में मज़े करवाए, जब राजस्थान में महामारी का कहर चारो तरफ फैला हुआ था उस समय पर राजस्थान का मुख्यमंत्री अपनी सत्ता के मद में चूर होकर अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में राजनीतिक खेल खेलने में व्यस्त था?? क्या यही इनकी जन सेवा हैं??
अगर इनसे कोई सवाल पूछता है तो उसके ऊपर सरकारी अधिकारी का फायदा उठाकर कोई ना कोई झुता मुकदमा चलाकर उस जेल में डलवा दिया जाता है जिससे इनकी असलियत किसी के सामने ना आने पाएं
राजस्थान में ग्रह मंत्रालय खुद मुख्यमंत्री ने क्यो अपने अधिकार में रखा हैं??
क्या उन्हें खुद की पार्टी के नेताओं की कार्यक्षमता पर विश्वास नहीं हैं या फिर पुलिस का कंट्रोल खुद के हाथ में रखकर हबीब खान गौराना जेसे चमचों के द्वारा किसी का भी नुकसान कराया जा सके??
आनंदपाल के केस में बहुत बयान बाजी हुई थी इनकी तरफ से ,पर इनकी सरकार द्वारा दिए जा रहे सरंक्षण में पलते हुए अपराधियों कि खेप जो की इनकी सरकार के बड़े नेताओ के संरक्षण में हैं उनका क्या??
इनके कई मुख्य विधायक तो खुद अपराधिक प्रवर्ती के हैं जिन पर पता नहीं कितने ही केस चल रहे हैं फिर उन मुकदमों में कोई भी कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है??
बाते कड़वी हैं परन्तु सत्य हैं, राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण राजस्थान में आम जनता हद से ज्यादा परेशान हो रखी हैं ओर सब कुछ जानते हुए भी इनके नेताओ के कुछ चमचे हर शहर ओर हर गांव में मिल जायेगे जो को ये जानते हैं कि उनके नेता जनता के साथ गलत कर रहे हैं परन्तु फिर भी आवाज नहीं खोलेंगे ??
क्योंकि चमचे हैं तलवे चाटना इनका काम हैं चाहे वो पार्टी का एक छोटा सा कार्यकर्ता हो या फिर किसी राज्य का मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी का हर कार्यकर्ता किसी ना किसी सीनियर नेता के तलवे तो चाटता ही हैं ओर फिर अंत में इनकी राजमाता के तलवे चाटना तो इनका परम धर्म हैं।
जय हिन्द जय भारत