राम राम जी🙏🙏
आज के इस लेख में हम बात करने वाले हैं भारत के उस जंगी जहाज के बारे में जिसने किसी समय पर आजाद हिंद फौज के खिलाफ भी युद्ध लड़ा था और बाद में आजाद हिंदुस्तान के लिए भी युद्ध लड़ा था यह कहानी है उस जंगी जहाज की जिसने अपने से कई गुना बड़े और कई गुना शक्तिशाली पाकिस्तान की एक सबमरीन पी एन एस गाजी को धराशाई कर दिया था। पाकिस्तान आज तक भी इस बात से नकारते आ रहा है परंतु यह सत्य ही और उस सम्मेलन का मलबा आज भी समुद्र की गहराइयों में दफन है इस जंगी जहाज ने भारतीय नेवी के लिए अपनी सेवाएं दी थी और 1971 के भारत-पकिस्तान युद्ध में इसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी।
यह कहानी है नामक HMS Rotherham उस जंगी जहाज की जिसने ब्रिटेन की सेना के लिए कई सालों तक अपनी सेवाएं दी थी और कई महत्वपूर्ण युद्धों में उसने ब्रिटिश सेना का परचम लहराया था परंतु फिर समय का ऐसा चक्कर घुमा कि यही जहाज भारतीय नौसेना की शान बना और आज भी हर भारतीय की याद में यह जहाज जिंदा है।
INS RAJPUT vs PNS GHAZI
यह वही जहाज है जिसने पाकिस्तान की ताकतवर सबमरीन पी एन एस गाजी को समुद्र के अंदर धराशाई कर दिया था पी एन एस का जी विक्रांत के पीछे थी उसका उद्देश्य आई एन एस विक्रांत को मार गिराना था परंतु पी एन एस गाजी और विक्रांत के बीच में यह जहाज एक दीवार बनकर खड़ा हो गया जिसने बाद में पिएनस गाज को इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दफन कर दिया।
इस जहाज का नाम ब्रिटिश सेना के एक अधिकारी Edward Rotheram के नाम पर रखा गया था इस जंगी जहाज को लॉन्च करने का फैसला 21 मार्च 1942 को किया गया था और इसको ब्रिटिश सेना में आधिकारिक रूप से 1942 में शामिल कर लिया गया था। इस जंगी जहाज ने द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटेन की सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जापान की सेना से जब युद्ध के अंदर आमने-सामने के मुकाबले में ब्रिटेन की सेना पीछे हट गई थी उसके बाद यही वह जंगी जहाज था, जिसने ब्रिटेन को वापिस युद्ध में खड़ा कर दिया था।
HMS Rotherham vs Azad Hind Fauj
यह बात है सन 1944 के जब आजाद हिंद फौज के सिपाही जापानी सेना के साथ मिलकर आज के अंडमान निकोबार दीप के ऊपर कब्जा कर चुके थे और ब्रिटेन की सेना को उस जगह से पीछे हटना पड़ा था और जापान की सरकार ने यह दोनों द्वीप आजाद हिंद फौज को और माननीय सुभाष चंद्र बोस जी को उपहार स्वरूप दिए थे और इन्हीं अंडमान निकोबार में सर्वप्रथम आजाद हिंद फौज का गठन हुआ था। यहीं पर आजाद हिंदुस्तान की नींव रखी गई थी ब्रिटेन की सेना को जब जापान की सेना से युद्ध में आमने-सामने के मुकाबले में पीछे हटना पड़ा तो उसने अपने सबसे विश्वसनीय जंगी जहाज को इस युद्ध के अंदर समुद्र के अंदर उतार दिया युद्ध के कुछ ही समय बाद इस जंगी जहाज में आजाद हिंद फौज और जापानीज फौज को वहां से पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया था। यह जहाज एक आर क्लास डिस्ट्रॉयड था डिस्ट्रॉयर था जिसक अधिकतम गति सीमा 67 किलोमीटर प्रति घंटा थी।
इस जंगी जहाज ने ब्रिटेन की सेना के लिए 1942 से 1945 तक अपनी सेवाएं दी थी। 1945 के अंदर इस जंगी जहाज को ब्रिटिश सेना से सेवानिवृत्त कर दिया था और उसके बाद इस जंगी जहाज को भारत को बेच दिया गया था।
भारत उस मैं समय पर ताजा ही स्वतंत्र हुआ था और उसे भी अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए एक जंगी जहाज की आवश्यकता थी जो पूरी हुई ब्रिटिश सेना के इस जहाज से ब्रिटिश सरकार ने इस जहाज को सन 1948 में भारतीय सरकार को भेज दिया था जिसके बाद में इसे ऑफीशियली 27 जुलाई 1949 को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया था इस जंगी जहाज ने भारत के नौसेना के लिए कई महत्वपूर्ण समय पर अपनी सेवाएं दी थी जिनमें 1971 का भारत-पाक युद्ध महत्वपूर्ण है जब ब्रिटिश सेना से सेवानिवृत्त इस जहाज को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया तो इसे नाम दिया गया आई एन एस राजपूत।
दोस्तों आप ने बॉलीवुड में आई हुई एक मूवी द गाजी अटैक तो जरूर देखी होगी जिसमें दिखाया गया है कि कैसे भारतीय नौसेना की एक सबमरीन ने पी एन एस गाजी को समुद्र के अंदर मार गिराया था परंतु इसकी वास्तविक कहानी में पाकिस्तानी सबमरीन पी एन एस गाजी को मारने वाला जंगी जहाज यही आई एन एस राजपूत था।
Real Story Of INS RAJPUT And PNS GHAZI
अमेरिकी नौसेना से पाकिस्तान ने एक सबमरीन को उधार लिया था जिसका नाम रखा गया था पी एन एस गाजी। यह सबमरीन उस समय की ताकतवर सबमरीन हुआ करती थी।
भारत के पास उस समय कोई भी सबमरीन नहीं हुआ करती थी। पी एन एस गाजी को कराची से इसलिए भेजा गया था ताकि वह आई एन एस विक्रांत जो कि एक विमान वाहक युद्धपोत था उसको ध्वस्त कर सकें परंतु भारतीय खुफिया एजेंसी और सेना ने इस बात की जानकारी पहले ही पता कर ली थी। आई एन एस विक्रांत को चेन्नई से विशाखापट्टनम के लिए रवाना कर दिया और उसकी जगह पर पी एन एस गाजी के सामने एक जंगी जहाज को मौत के मुंह में खड़ा किया गया जिसका नाम था आई एन एस राजपूत।
आई एन एस राजपूत के कमांडिंग ऑफिसर को यह आदेश दिया गया कि वह आई एन एस विक्रांत की जगह चेन्नई में ले और वहां से रेडियो सिग्नल भेजें और कुछ इस तरह से माहौल बनाएं कि पीएनएस गाजी के कर्मियों को लगना चाहिए की आई एन एस विक्रांत अभी चेन्नई पोर्ट पर है और वह विशाखापट्टनम जाने की तैयारी कर रहा है। भारतीय नौसेना ने अपना जाल बिछा दिया था और दिखावे के लिए बाजार से राशन भी 20 दिनों से ज्यादा का खरीद कर लिया था और कुछ इसी तरीके की बातचीत रेडियो पर आई एन एस राजपूत के द्वारा की गई जिससे आई एन एस विक्रांत का परिदृश्य पेश किया जा रहा था ताकि पी एन एस गाजी को यही लगे जो जहाज अभी खड़ा है वह आई एन एस विक्रांत ही है। पीएनएस गाजी ने अपना काम शुरू किया और जिस रास्ते से विक्रांत को विशाखापट्टनम जाना था अर्थात आई एन एस राजपूत विक्रांत की जगह पर विशाखापट्टनम जाने वाला था चूंकि आई एन एस विक्रांत तो विशाखापट्टनम के लिए पहले ही रवाना हो चुका था।
पी एन एस गाजी ने समुद्र के अंदर बारूदी सुरंग बिछाने शुरू की और 1 तरीके से समुद्र की आंतरिक सतह पर बारूद का ढेर लगा दिया। आई एन एस राजपूत विशाखापट्टनम के लिए चेन्नई के बंदरगाह से निकल गया बीच समुद्र में रास्ते के अंदर आईएनएस राजपूत को समुद्र के अंदर किसी अवांछित गतिविधि का एहसास हुआ तो आई एन एस राजपूत के कर्मियों ने उसको टारगेट करके टारपीडो छोड़े जो एकदम सही निशाने पर लगे जिसके बाद समुद्र के अंदर एक बहुत बड़ा धमाका हुआ और पी एन एस गाजी हमेशा के लिए समुद्र के अंदर समा गई।
वह विध्वंसक सबमरीन जो आई एन एस विक्रांत को मिट्टी में मिला सकती थी परंतु भारतीय सेना के अधिकारियों की निर्णय लेने की क्षमता और उनकी जाल में फंस कर पी एन एस गाजी खुद ही पानी में हमेशा के लिए दफन हो गई। चेन्नई में उस समय पर लोग प्रधामंत्री इंदिरा गांधी का भाषण सुनने के लिए इक्कठा हों रखे थे तभी उन्हें समुद्र में से एक बहुत बड़े धमाके की आवाज आई थी, इसी धमाके के साथ पीएनएस गाजी को आईएनएस राजपूत ने मौत की नींद सुला दिया था। युद्ध से कुछ समय पहले ही आई एन एस राजपूत को भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त करने के लिए विचार-विमर्श चल रहा था परंतु यह होने से तुरंत पहले ऐसे साहसिक कार्य करने के कारण आई एन एस राजपूत को कुछ साल और भारतीय नौसेना में सेवा करने का अवसर मिला और अंत में सन 1976 में इस जहाज ने अपने गौरवशाली अतीत को विदाई देते हुए भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त कर दिया गया इस जहाज के साथ कुछ ऐसी यादें भारत की जुड़ गई जो किसी और जहाज के साथ ना तो कभी जुड़ सकती है और ना कभी जुड़ पाएगी क्योंकि “यह वही जहाज है जिसने कभी आजाद हिंद फौज के खिलाफ युद्ध किया था और बाद में आजाद हिंदुस्तान की फौज के लिए भी युद्ध किया”।
आई एन एस राजपूत भारतीय नौसेना के स्वर्णिम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया और इसके बाद भी भारतीय नौसेना में जो जंगी जहाज शामिल किया गया उसका नाम भी इसी जंगी जहाज के नाम पर आई एन एस राजपूत रखा गया था। पाकिस्तान सरकार ने यह मानने से साफ-साफ इंकार कर दिया था कि पी एन एस गाजी को आईएनएस राजपूत ने मार गिराया था जबकि उनका बयान यह था कि पी एन एस गाजी आई एन एस विक्रांत के लिए बारूदी सुरंगों का जाल बिछा रही थी जिसमें वह खुद ही फंस गए और सबमरीन बारूदी सुरंगों में विस्फोट होने से धराशाही हो गई।
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जय हिंद जय भारत।