Original History of India|भारत के वास्तविक इतिहास से छेड़छाड़ क्यों की गई थी??|Indian History|HINDI|Sanatani indian|

प्राचीन भारत अदभुत कलाकृतियों का एक अनूठा खजाना रहा हैं जहां आज भी गाहे बगाहे कई कलाकृतियां ऐसी मिल जाती हैं जिसका आज के विज्ञान के पास कोई जवाब नही होता हैं।

आज हम इसी मुद्दे पर बात करने वाले हैं की आखिर क्यों देश के अंदर प्राचीन हिंदू राजाओं द्वारा बनाई गई अनूठी कलाकृतियों को इतिहास में कहीं दबाकर रख दिया गया हैं।
भारत के मध्यप्रदेश राज्य के अंदर भीम बेटका नाम की एक जगह हैं जो आज एक विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता रखता है।

Original History of India

इस पर शोध करने वाले वैज्ञानिक यह मानते हैं की पाषाण कालीन यह संरचनाएं लगभग विश्व की सबसे पुरानी मानव के बसने की बसावट को दर्शाती हैं। भीमबेटका की गुफाओं में पाषाण कालीन मानवों द्वारा बनाई गई चित्रकारी और अन्य कई प्रमाण आज भी मौजूद हैं। 
सवाल ये हैं की आप में से कितने लोग इस बारे में जानते थे की इन गुफाओं में इस्तेमाल चट्टानों के ऊपर जो गोलाकार आकेतिया बनाई गई हैं वह संसार की सबसे पुरानी मानव कारीगरी का एक नमूना हैं।
एसे ही भारत में लाखो ऐसी दुर्लभ जगह मौजूद हैं जिनके बारे में आप में बहुत से लोग नही जानते हैं, इसके पीछे भी एक बड़ा कारण हैं। हम लोगो को बचपन से ही किताबो के माध्यम से केवल कुछ ही ऐतिहासिक इमारतों और जगह के बारे में पढ़ाया जाता हैं जिनमे से अधिकांश केवल मुगलों से जुड़े हुए हैं।
भारत के युवाओं को मानसिकता को गुलाम बनाने के लिए बच्चों को बचपन से ही ऐसी शिक्षा प्रदान की जाती हैं की असलियत तो वो जान ही नहीं पाते हैं। किताबो में यह पढ़ाया जाता हैं की अकबर महान था और उसने हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप को हराया था, ऐतिहासिक दस्तावेज में कहीं पर भी ये लिखित नही हैं की महाराणा प्रताप को कभी अकबर ने युद्ध में हराया था।
दिवेर के युद्ध में जब महाराणा प्रताप और उनके पुत्र अमरसिंह ने दो गुट में सेना का नेतृत्व करते हुए अपना रुद्र रूप युद्ध में पेश किया था तब मुगल सेना युद्ध से भाग गई थी। महाराणा प्रताप की सेना ने अजमेर तक उनका पीछा किया था तब मुगलों को सेना के 32000 जवानों ने महाराणा प्रताप के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
इतिहास में कभी भी वास्तविक सत्य को उजागर नहीं किया गया क्योंकि आजादी के बाद देश का पहला शिक्षा मंत्री ही एक विदेशी था तो वह भारत के इतिहास के बारे में क्या ही सही लिखता??
अकबर के जीवन पर आधारित पुस्तक “आईने अकबरी” में लिखा गया हैं को अकबर कभी कभी रात में सपने में महाराणा प्रताप को देखकर डर कर उठ जाते थे।
इसी पुस्तक में यह भी लिखा गया हैं को अकबर एक फकीर को बहुत मानते थे। यह फकीर किसी जंगल में बहुत ही दुर्गम स्थान पर रहते थे। महाराणा प्रताप के राज्य मेवाड़ पर जब अकबर की नजर पड़ी तो वह उसे भी अपने राज्य में मिलकर एक चक्रवर्ती सम्राट बनना चाहता था।
अकबर ने महाराणा प्रताप से युद्ध से पहले जब फकीर से पूछा कि क्या वह यह युद्ध जीत पायेगा क्योंकि कहा जाता हैं की महाराणा प्रताप बहुत बहादुर हैं वो किसी भी कीमत पर अपनी जमीन को किसी और के हवाले नही कर सकता।
उस फकीर ने अकबर से कहा था की “कभी युद्ध में प्रताप के सामने मत जाना नही तो जिंदा वापस नहीं आ पाओगे, तुम आमने सामने की लड़ाई में कभी भी प्रताप से नही जीत सकते”
यह सुनकर अकबर कभी भी महाराणा प्रताप से युद्ध में आमने सामने कभी नही लड़े। अकबर के बड़े बड़े सेनापतियो को छोटे से मेवाड़ ने धूल चटा दी थी।

Indian Ancient monuments

दक्षिण भारत में मौजूद अतिविशिष्ट मंदिरों के निर्माण को क्यों इतिहास से छुपाकर रखा गया??
कई मंदिर एसे हैं जिनमे पत्थरों से वो कारीगरी की गई हैं जिसे आज तक वैज्ञानिक आधुनिक उपकरणों के साथ में भी पूरा नहीं कर पाते हैं। किसी मंदिर में खंबे हवा में झूल रहे हैं और पूरा मंदिर उन झूलते खम्बो के ऊपर टिका हुआ हैं।
किसी मंदिर में इतनी सुरंगे हैं की वैज्ञानिक ढूंढ ढूंढ कर परेशान हो जाते हैं।
एलोरा की गुफाओं में बनी सुरंगे पूरे विश्व में अन्य अलग अलग जगह पर जाकर मिलती हैं ऐसा कई वैज्ञानिकों का मानना हैं और इसके बारे में बहुत से शोधपत्र भी प्रकाशित किए जा चुके है।
एलोरा को गुफाओं में गुफा के दोनो तरफ पानी के संग्रहण के लिए आज से हजारों साल पहले केसे एक सुघटित डिजाइन तैयार किया था।
दिल्ली में स्तिथ कुतुब मीनार को आज संसार में सबसे बड़ी मुगल कलाकृति के रूप में पेश किया जाता हैं।
कुतुब मीनार पर बारीकी से शोध की गई तो पता चलता हैं की इसके निर्माण में जो पत्थरों पर कारीगरी की गई हैं उसमे जहां पर बड़े बड़े शब्दो में उर्दू की आयत को लिखा गया हैं तो उनके ऊपर घंटी और बाकी हिंदू कलाकृति को दर्शाया गया हैं जो केवल किसी हिंदू कलाकृति में ही पाई जा सकती हैं।
इस्लाम धर्म में किसी और ईश्वर की पूजा करना हराम माना गया हैं और घंटियों को इस्लाम में माना नही जाता तो वहां पर किसी हिंदू मंदिर में रोज पूजा में काम आने वाली घंटियों का क्या काम था??
कुछ सेकुलर लोग इस पर ज्ञान देंगे की हो सकता हैं वह शासक सभी धर्मो को समान मानता हो तो उनको बता दू उसके बारे में विस्तार से पढ़ लेना वह कोई सेकुलर नही था जबकि अपने धर्म का विस्तार करना चाहता था।
इसी कुतुब मीनार क्षेत्र में ही एक पुराना टूटा हुआ मंदिर का खंडहर हैं जिसको ध्यान से देखोगे तो पता चलेगा कि मंदिर के वास्तविक गुंबद को तोड़कर वहां पर एक मुगल शैली का गुंबद बनाने का प्रयास किया जा रहा था जो सफल नहीं हो पाया।
इसी प्रकार की कहानियां लाल किले के बारे में भी सुनने को मिलती है।  इतिहास के पन्नों के अनुसार लाल किले का निर्माण मुगलों ने करवाया था जबकि कुछ अन्य ऐतिहासिक दस्तावेज दर्शाते हैं कि इस किले का निर्माण राजा अनंगपाल तोमर ने करवाया था।
 मुझे आज तक यह नहीं समझ में आया कि आखिर वास्तविक तथ्यों को छुपाकर पूर्ववर्ती वामपंथी सरकारे क्या साबित करना चाहती थी?? क्या इनका सीधा सा इशारा इस बात की तरफ नहीं करता कि भारत के बच्चों को बचपन से ही ऐसी शिक्षा दी जाए की वे हमेशा से मुगलों और इस्लाम धर्म का मानसिक गुलाम बने रहे एवं भारत के वास्तविक इतिहास और संस्कृति को जान ही ना पाए, अगर आप किसी भी मुगलकालीन स्थापत्य कला के नमूने में जाकर एक शोधकर्ता की दृष्टि से हर जगह की गहराई से छानबीन करेंगे तो आपको मालूम पड़ेगा कि इनमें से अधिकांश हिंदू राजाओं द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को तोड़कर उनको मुगल शैली में परिवर्तित कर दिया गया था।
 अष्टकोणीय खम्बो के बारे में मुगल शैली में कहीं पर भी नहीं लिखा हुआ है, जबकि मुगलों की अधिकांश इमारतें अष्टकोण आकार में बने खम्बो के ऊपर ही टिकी हुई है। अष्टकोणीय खंभों का प्रयोग ज्यादातर हिंदू इमारतों में ही किया जाता था।
 हिंदू राजाओं द्वारा बनाई गई इमारतों के अंदर घंटियां और झालर मुख्य रूप से बनाई जाती थी जो हिंदू शैली को प्रदर्शित करती थी। मुगलों द्वारा बनाए गए अधिकांश इमारतों के अंदर यह सब पाई जाती हैं जिससे यह साबित हो जाता है कि इन सब को हिंदू राजाओं के द्वारा बनाई गई इमारतों को तोड़कर बस मुगल शैली में परिवर्तित किया गया है।
 ताज महल के बारे में हर एक ऐतिहासिक दस्तावेज में यही बताया जाता है कि यह एक मकबरा है अगर यह एक मकबरा है और इसमें केवल कब्र हैं तो ताजमहल के बाकी के गुप्त कमरों को आज तक खोला क्यों नही गया??
 इंदिरा गांधी की सरकार ने रातों-रात ताजमहल के पीछे से आने वाले रास्तों को बंद क्यों कर दिया था?? और क्यों उन्हें ईटों से चिनवा कर बंद करा दिया गया था??

Itihas se छेड़छाड़

पूर्ववर्ती सरकारें आखिर करना क्या चाहती थी?? और वर्तमान सरकार इसके ऊपर निर्णय क्यों नहीं ले पा रही है??
 यह एक सोचने वाला सवाल है। ताजमहल के ऊपर वैज्ञानिकों को शोध की अनुमति क्यों नहीं मिल पाती है?? इसका क्या कारण है??
 ताजमहल के मुख्य गुंबद में  खिड़कियों को अब तो बंद किया जा चुका है परंतु जब इनसे देखा जाता था तब साफ-साफ अंदर के कमरों का दृश्य दिखाई देता था जिसमें वीणा और मृदंग की कलाकृतियां दीवारों पर उकेरी गई थी।
वीणा और मृदंग का एक मकबरे के अंदर क्या काम?? 
 लाल किले के बारे में कई किवंदतियां प्रचलित है जिनमें से कुछ में यह माना जाता है कि वर्तमान में जो लाल किला है, वास्तविक महल इसके नीचे हैं। लाल किले में नीचे जाने वाले सभी तहखानों को बंद किया जा चुका है। इन तहखानों में ऐसे कौन से राज छुपे हैं?? जिनसे सरकारें भी डरती है  की जनता के सामने आ गए तो स्तिथि क्या हो सकती है। इसीलिए तो शायद इन तथ्यों को छुपा कर रखा गया है।
पृथ्वीराज चौहान के बारे में इतिहास में झूट लिखा गया हैं। उनके युद्ध में हारने के बारे में तो लिखा गया हैं पर ये कहीं नहीं बताया गया की गौरी को चौहान ने 17 बार युद्ध में हराकर उसको छोड़ दिया था।
पृथ्वीराज चौहान के ससुर जयचंद ने गौरी के साथ मिलकर अगर पृथ्वीराज को धोखा नहीं दिया होता तो वह कभी भी चौहान को युद्ध में हरा नही सकता था।
गौरी के जिस सेनापति मोइनुदिद्न चिश्ती ने देश के अंदर कत्लेआम किया था हजारों औरतों का बलात्कार किया गया था। उस की कब्र पर जाकर आज हिंदू अपना मत्था टेकते हैं यह मानसिक गुलामी नही हैं तो और क्या हैं??
सत्य अखंड हैं सत्य को कभी झुटलाया नही जा सकता वो आज नही तो कल सबके सामने आ ही जायेगा।
जय श्री राम🙏🙏
जय हिंद जय भारत
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