बाबरी मस्जिद के बारे में हम सब ने सुना हैं। भारत के अधिकांश लोगों का यही मानना है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट बाबर की याद में किया गया था। इसलिए इस मस्जिद का मुसलमानों के लिए एक खास स्थान था।
BABRI MASJID HISTORY
BABRI MASJID अयोध्या के अंदर थी जिसके ऊपर करीबन 500 से 600 साल तक विवाद चला था। देश का हिंदू समुदाय इस मस्जिद की जगह को भगवान श्री राम की जन्मभूमि मानता था, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे बाबर की यादगार में बनाई हुई मस्जिद मानता था।
जहां पर बाबरी मस्जिद हुआ करती थी। उस जगह का धार्मिक महत्व हिंदू और मुसलमानों दोनों के लिए ही बहुत ज्यादा था।
क्या आप जानते हैं कि बाबरी मस्जिद का निर्माण कब और क्यों किया गया था??
जैसा कि मैंने आपको पहले भी बताया है इस मस्जिद के बारे में अधिकांश लोगों का यही मत है कि इसका निर्माण बाबर की याद में किया गया था जबकि हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है।
बाबरी मस्जिद का निर्माण खुद बाबर ने करवाया था। जिसे बाद में इतिहासकारों ने बदलकर इसके वास्तविक इतिहास को कहीं दबा दिया।
When was BABRI MASJID Built??
बाबरी मस्जिद का निर्माण बाबर ने अपने प्रिय गलीमा बाबरी की याद में करवाया था। गलीमा पुरुष वैश्या को कहा जाता था, और जिस बाबरी गलीमा की याद में बाबर ने इस मस्जिद का निर्माण करवाया था।
वह बाबर का सबसे प्रिय गलिमा था, जिसे बाबर अफगानिस्तान से अपने साथ लेकर आया था।
बाबरी की 1520 से 1525 के आसपास मृत्यु अप्राकृतिक शारीरिक संबंध बनाते समय हो गई थी।
जिसके बाद बाबर ने उसकी याद में मस्जिद को बनवाने का निर्णय लिया। बाबर 1526 से 1528 के बीच में इस मस्जिद का निर्माण करवा रहा था।
BABRI MASJID का निर्माण करवाने के लिए अयोध्या में पहले से मौजूद भगवान श्री राम के भव्य मंदिर को तोड़कर इस मस्जिद का निर्माण करवाया था।
1526 से 1528 के बीच में यह मस्जिद बनकर तैयार हुई थी। जिसे राम मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर बनाया गया था।
जब अयोध्या में श्री राम मंदिर को तोड़ा जा रहा था और इस मस्जिद का निर्माण किया जा रहा था। उस समय पर सरयू नदी के किनारे पर बैठकर गोस्वामी तुलसीदास जी ने रोते हुए अपनी भीगी पलकों के साथ श्री रामचरितमानस की रचना की थी।
भारत के वामपंथी इतिहासकारों ने भारत के इतिहास को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवन काल को इन्होंने बाबर के मृत्यु के बाद का बता दिया, जबकि वास्तव में गोस्वामी तुलसीदास जी, सिखों के प्रथम धार्मिक गुरु गुरुनानक देव जी और मुगल सम्राट बाबर यह तीनो एक ही समय काल के अंदर थे।
History of BABRI MASJID in Hindi
जब सरयू नदी के किनारे के ऊपर बैठकर गोस्वामी तुलसीदास जी श्री रामचरितमानस की रचना कर रहे थे। उसी समय के ऊपर श्री गुरुनानक देव जी से उनकी मुलाकात हुई थी और उन्होंने भी श्री राम मंदिर के तोड़े जाने का दुख जताया था।
भारत की अधिकांश जनता आज भी यही मानकर चलती है कि यह बाबरी मस्जिद बाबर की याद में ही बनाई गई थी, परंतु अब सच जानने का समय आ चुका है, अगर किसी को मेरी बात पर विश्वास नहीं है तो आप बाबर के ऊपर उसकी जीवनी लिखी गई है जिसका नाम “बाबरनामा” है।
उसे आप पढ़ सकते हैं और इस घटना के बारे में पूर्ण रूप से जान सकते हैं कि बाबर ने बाबरी मस्जिद का निर्माण क्यों करवाया था और क्यों भव्य श्री राम मंदिर को उस समय पर तोड़ा गया था।
भारत के अंदर समय-समय पर अनेकों मुगल सम्राट आए विदेशी आक्रांता आए और उन्होंने भारत की भव्यता को नष्ट करने की कोशिश की थी।
भारत की गौरवशाली स्थापत्य कला को नष्ट करके, उनसे तोड़फोड़ करके उनको अपना नाम दे दिया और यह केवल राम मंदिर के साथ ही नहीं बल्कि ध्रुव स्तंभ जिसे आज कुतुबमनार के नाम से जाना जाता है, उत्तर पथ जिसे आज के समय द ग्रांट रोड के नाम से जाना जाता है, यह सब भी महान हिंदू राजाओं के द्वारा बनाए गए स्थापत्य कला के अजूबे थे।
वामपंथी पत्रकार और इतिहासकारों ने देश के इतिहास के साथ इतनी ज्यादा छेड़खानी की है कि इसे सुधार पाना लगभग असंभव सा है, परंतु आज जब देश के हिंदू जागरूक हो चुके हैं।
Congress Sarkar me RAMAYAN ko काल्पनिक kyo bataya??
उन्हें इस देश के सत्य से परिपूर्ण गौरवशाली इतिहास को जानने की जिज्ञासा भी बहुत ज्यादा हो चुकी है। जिसके कारण इन वामपंथी इतिहासकारों के और कांग्रेसियों के छक्के छूट चुके हैं।
क्या आप जानते हैं??, कांग्रेस सरकार ने एक बार सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसके अंदर बहस में कांग्रेस की तरफ से जो वकील थे, उन्होंने यह दलील पेश की थी कि भगवान श्रीराम कभी हुए ही नहीं थे, भगवान श्री राम और रामायण पूर्णतया काल्पनिक है।
भगवान राम और रामायण को काल्पनिक बताने के पीछे एक बहुत बड़ा कारण था। इन्हें श्री राम सेतु के नीचे मिले यूरेनियम का सौदा विदेशी कंपनियों से करना था।
जिससे इन्हें अरबों रुपए मिलते, क्योंकि श्री राम सेतु के नीचे जो यूरेनियम का भंडार है, उससे वैज्ञानिकों के अनुसार अनुमानित लगभग डेढ़ सौ साल तक परमाणु बम बनाए जा सकते हैं।
आप खुद सोचिए भारत खनिज संपदा का भंडार है। जिसमें जगह जगह पर अनेकों खनिज धरती के अंदर दफन है।
BABARI MASJID Demolition date
6 दिसंबर 1992 का वह दिन देश का कोई भी हिंदू नहीं भूल सकता, जिस दिन हजारों कारसेवकों ने अपनी जान पर खेलकर इस बाबरी मस्जिद का दोबारा विध्वंस किया और उसकी जगह पर दोबारा राम मंदिर बनाने की इमारत की नींव रखी गई
कुछ साल पहले भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने राम मंदिर जन्मभूमि के संदर्भ में यह निर्णय दिया था कि जिस जगह पर बाबरी मस्जिद थी। वह जगह श्री राम मंदिर की ही है।
जिसे श्री राम मंदिर ट्रस्ट को सुपुर्द कर दिया जाए और मस्जिद के निर्माण के लिए सर्वोच्च न्यायलय ने अयोध्या में ही एक दूसरी जगह पर जमीन उपलब्ध करवाने की बात कही।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को बकायदा आदेश दिया था कि देश के मुसलमानों को मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या में दूसरी जगह पर जमीन उपलब्ध करवाई जाए।
अयोध्या के श्री राम मंदिर के सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से पहले भी आज से करीबन 200 से 300 साल पहले ब्रिटिश सरकार ने फैसला दिया था।
जिसमें भी बाबरी मस्जिद को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अंतर्गत बताया गया था परंतु उस समय पर भी वामपंथी नेताओं और जो देश के स्वयंभू आजादी के नायक बन बैठे थे, उन लोगों ने वह निर्णय लागू नहीं होने दिया था, अगर वह निर्णय उसी समय पर लागू कर दिया जाता तो ना तो बाबरी मस्जिद को हजारों कारसेवकों के द्वारा तोड़ा जाता और ना ही हजारों कारसेवक श्री राम मंदिर के लिए अपनी जान गोलियों से खोते।
आज जब श्री राम मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है तो वही लोग जो कभी रामायण को काल्पनिक बताते थे। आज उसी राम मंदिर के लिए गुणगान कर रहे हैं और कपड़ों के ऊपर से जनेऊ पहन कर ब्राह्मण का वेश धरकर जनता को मूर्ख बनाने में लगे हुए हैं।
जिस मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों के ऊपर गोली चलाई थी, आज उसी के परिवार वाले खुद को हनुमान जी का सेवक बताते हैं। अपनी गुंडागर्दी की प्रतीक लाल टोपी को वे लोग हनुमान जी के सिंदूर के लाल रंग से तुलना करते हैं।
राजनीति और हिंदू विरोध में ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। कुछ लोगो ने तो Supreme court ने जब राम मंदिर के हक में निर्णय दिया था तब सोशल मीडिया और बाकी अन्य माध्यमों से यह प्रचार करना शुरु कर दिया था की क्या मंदिर से रोटी मिलेगी??
मिलेगी, जरूर मिलेगी, हमारे हिंदू धर्म में तो मंदिर में आने वाले किसी भी व्यक्ति को भूखा तो नही रखा जाता। हम खाने के लिए भी प्रबंध करते हैं। जब राम मंदिर का निर्माण होगा तो उससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।
संसार में हिंदुओ का एक ही देश हैं, वह हैं भारत। हिंदू धर्म के आराध्य देव हैं भगवान श्री राम, और आज तक उन्ही भगवान श्री राम की जन्म भूमि पर उनका स्थाई मंदिर तक नही था। न्यायलय के फैसले के बाद अब भगवान श्री राम के प्रतीक उनकी मूर्ति को भव्य श्री राम मंदिर में प्रतिस्थापित करने की तैयारी हो चुकी हैं, जो पहले एक टेंट के अंदर स्थापित हुआ करती थी।
ऐसी ही और रोचक जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहे।
जय हिंद जय भारत
जय श्री राम🙏🙏