Cabinet Clears Bill to Repeal Three Farm Laws/कृषि कानूनों की वापसी/Hindi/Rakesh Tikait/Narendra Modi

भारत के अंदर अभी कुछ दिन पहले पिछले साल बनाए गए नए कृषि कानूनों को सरकार के द्वारा वापिस लेने की घोषणा की गई हैं।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ये फैसला लेने की घोषणा की गई। जब से ये कृषि कानून लागू किए गए थे तब से इन्हे वापिस लेने के लिए सरकार पर दबाव बनाया जा रहा था चाहे वह विपक्ष के द्वारा हो या फिर देश के अंदर चल रहे किसान आंदोलन के द्वारा।
इन नए बनाए गए कृषि कानूनों से देश के आम छोटे किसानों को बहुत फायदा था जिसे इन दलाल किसान नेताओं और विपक्ष ने अपनी गंदी राजनीति के चलते उन्हें इस फायदे से वंचित कर दिया।

What is The Main Reason Behind Repeal of Farm law’s

भारत एक कृषि प्रधान देश हैं और हमारे देश की अधिकांश आबादी कृषि पर ही अपने जीवन यापन के लिए निर्भर रहती हैं। हमारे देश के अंदर मशालो से लेकर विश्व का सबसे पोष्टिक अनाज बाजरे तक की खेती की जाती हैं। 
कुछ किसान बहुत बड़ी बड़ी जमीनों के मालिक हैं तो अधिकांश उनमें से एसे हैं। जिनके पास कृषि करने योग्य जमीन बड़ी मात्रा में तो नहीं परंतु इतनी जरूर हैं की वो अपने खेत में फसल उगाकर अपना जीवन चला सके।
आजादिं के बाद इस देश में कई सरकारी आई, हमने इस देश में पहले भी कई किसान आंदोलन देखे हैं जो सरकारों के खिलाफ ही किए गए थे परंतु ऊन आंदोलन और इस आंदोलन में फर्क ये हैं की वो आंदोलन  जहां जिस व्यवस्था को देश में लागू करने के लिए किए थे ये आंदोलन उसके बिल्कुल विपरीत हैं। 
इस किसान आंदोलन का लक्ष्य उस नई लागू की गई व्यवस्था को बंद करवाना था जिसके लिए भूतकाल में कई बार किसान आंदोलन हो चुके थे।
इस किसान आंदोलन के जो मुख्य नेता थे राकेश टिकैत उनके पिताजी श्रीमान महेंद्र जी टिकैत ने यही व्यवस्था लागू करवाने के लिए राजीव गांधी की सरकार के समय एक बहुत बड़ा आंदोलन किया गया था जो बाद में राजीव गांधी और महेंद्र ही टिकैत के मध्य हुई वार्ता के बाद समाप्त कर दिया गया था।

What Are The Three Farm Law’s ??

जब पिछले साल ये आंदोलन शुरू हुआ था उस समय पर ही सरकार ने इन कानूनों को 1.5 साल के लिए लागू न करने का फैसला किया था। सरकार इन नए कृषि कानूनों से देश को कृषि में बेहतर बनाने का सपना देख रही थी परंतु सरकार को क्या पता था कि इस देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो देश की आम जनता को बहका कर अपने निजी राजनेतिक और आर्थिक फायदे के लिए देश के लाखो छोटे किसान का नुकसान भी कर सकते हैं। 
2020 में जब वर्तमान मोदी सरकार ने कोरोना महामारी में भी संसार के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में स्तिथि को संभाल लिया था तो देश के विपक्ष और अन्य वामपंथी नेताओं को मोदी के सामने चुनावो में और कोई मुद्दा न मिलने के कारण इस किसान आंदोलन की नींव रखी गई जिसे बहुत ही शातिर तरीके से अराजनेतिक दिखाने की कोशिश की गई।
इस आंदोलन को चलाने के लिए पहले एसे चेहरे ढूंढे गए जो पहले भी आंदोलन वगेरह में शामिल होते रहे हो और मोदी जी को विचारधारा के विरोधी हो या फिर पेसो के लालची हो। 
आज के समय में औकात से ज्यादा धन मिलने पर लोग अपना चरित्र बेच देते हैं वैसा ही कुछ हुआ था इस आंदोलन में। 

India PM Narendra Modi repeals controversial reforms

जो लोग पहले इन कृषि कानूनों का समर्थन कर रहे थे उन्हें ही इस आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा बनाया गया जिससे आम किसानों और आंदोलन जीवियो का एक बहुत बड़ा समूह खड़ा किया जा सके।
2022 के प्रकाश पर्व के दिन जब सरकार ने प्रधानमंत्री जी के माध्यम से तीनों कानूनों को वापिस लेने के घोषणा की गई तो सबको लग रहा था कि अब जो ये आंदोलन पर बैठे हैं वे उठकर अपने घर चले जायेंगे। 
प्रधानमंत्री जी के घोषणा किए जाने के बाद भी मुख्य आंदोलनकर्ता राकेश टिकैत का कहना हैं की वो अब भी आंदोलन जारी रखेंगे, आप लोग क्या अब भी सोचते हैं की ये आंदोलन अराजनीतिक था तो आप या तो बहुत बड़े मूर्ख हैं या फिर विपक्ष के चमचे हैं।
इस आंदोलन में देश के अंदर माहोल को लगातार बिगाडने की कोशिश की गई थी चाहे वो किसी भी माध्यम से हो, आंदोलन स्थल पर खालिस्तान समर्थक नारे लगाना हो या फिर आंदोलन के बीच लोगो को हत्या करना हो या फिर 26 जनवरी 2021 को लाल किले पर हुई हिंसा हो।
राजनेतिक दलालों और विदेशी ताकतों के दम पर इस आंदोलन को संबल मिलता रहा जिसे समय समय पर विपक्षी नेताओं और वामपंथी पत्रकारों ने और बढ़ा चढ़ा कर दिखाया।
जब सरकार ने कानून को वापिस लेने का निर्णय लिया था तो इस फैसले को मोदी को हार के रूप में दिखाने के लिए इन वामपंथी और विपक्ष ने अपने दिन रात एक कर दिए। सोशल मीडिया पर एसे अभियान चलाए गए जिनसे मोदी के नाम को नीचा दिखाया जा सके या फिर उन्हें हारा हुआ साबित किया जा सके।
जिनकी मानसिकता छोटी होती हैं न वो लोग ही ऐसी हरकतें करते हैं। मोदी जी को देश से फर्क पड़ता हैं और इस समय देश की आम जनता इस दलालों के आंदोलन के कारण परेशान हो रही थी और उन्हें लग रहा हैं की सरकार उनके सामने हार मान चुकी हैं। 

What farm law’s repeal means for farmers

सरकार ने अगर अभी ये कानून वापिस लेने का निर्णय लिया हैं तो ये नही हैं की सरकार छोटे किसानों के फायदे के बारे में फिर से कभी नही सोचेगी?? सरकार ये कानून फिर से लागू करेगी चाहे किसी भी तरीके से करे।
पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का इन कानूनों के वापिस करवाने में बहुत बड़ा हाथ हैं। कांग्रेस पार्टी से जब से ये अलग हुए थे तब से ही इस बात का कयास लगाया जा रहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ मिल कर इन कानूनों को वापिस लेकर कोई बड़ा राजनेतिक खेल खेलेगी। 
इन कृषि कानूनों को वापिस लेकर सरकार ने विपक्ष और वामपंथियों के पास मोदी सरकार को घेरने के लिए कोई मुद्दा छोड़ा ही नही तभी तो ये किसान नेता इस आंदोलन को अभी लगातार चलाने की बाते कर रहे हैं। 
इस किसान आंदोलन का मुख्य लक्ष्य चुनावो के समय में देश की सबसे बड़ी आबादी जो केवल कृषि पर निर्भर हैं उस को लक्ष्य कर के सरकार को घेरने को साजिश थी परंतु सरकार इनसे आगे का सोचती हैं और समय को देखते हुए मामले को थोड़ा संभालने के लिए इन कानून की वापसी कर ली।
आज के समय में देश को जिन कानून की सबसे ज्यादा जरूरत हैं वो हैं,
जनसंख्या नियंत्रण कानून 
समान नागरिक संहिता
आपने पिछले दिनों सोशल मीडिया पर देखा होगा की एक धर्म विशेष के समूह ने अपनी बैठक में ये घोषणा की हैं की वो सरकार को समान नागरिक संहिता पर कानून नही बनाने देंगे और पहले से लागू किए गए CAA और एनआरसी का भी विरोध करेंगे।
समान नागरिक संहिता पर कानून बनाने से उन्हें दिक्कत क्या हैं?? क्या इनको इन कानून का मतलब नहीं पता?? 
विदेशो से अपना प्रेम दिखाने वाले इस देश के कई बड़े नेता जब हमारे देश में उन्ही देश से मिलता जुलता कोई विकास का कानून बनाया जाता हैं तो उन्हें उससे दिक्कत हो जाती हैं, आखिर क्यों??
क्योंकि अगर मोदी सरकार ने वो सब काम कर दिए तो विपक्ष के पास  चुनावो  के लिए कोई मुद्दा ही नही बचेगा।
विपक्ष मोदी सरकार को घेरने का प्रयास करती हैं उनके हर फैसले में बिना फैसले के बारे में जाने ही, चाहे वह कोई भी कानून हो या फिर अन्य राजनेतिक फैसले।
मोदी को तानाशाह के रूप में सोशल मीडिया पर दिखाया जाता हैं ताकि आम जनता के मन में मोदी के प्रति विरोधी की भावना प्रकट की जा सके।

Status of farm law’s

आज देश के राष्ट्रवादी विचारधारा वाली जनता मोदी जी को हर हाल में अपना समर्थन दे रही हैं क्योंकि वो जानते हैं की मोदी जी इस देश का भविष्य निर्माण कर रहे हैं न को बाकी सरकारों को तरह जनता को मूर्ख बना कर उन्ही के टैक्स के पेसो से मौज कर रहा हैं।
जब किसी भी तरीके से मोदी में कमी नहीं पा सके तो उनको घेरने के लिए देश की मासूम जनता को लक्ष्य कर के उनका नाम का दुरुप्रयोग करना शुरु कर दिया।
राकेश टिकैत जैसे कई दलाल नेता आज जनता को मूर्ख बना कर उन्ही का भविष्य उन्ही से छीन रहे हैं। आज से कुछ समय पहले तक जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी तब यही राकेश टिकैत जैसे कई नेता थे जो किसानों के लिए एक ऐसी व्यवस्था की मांग कर रहे थे जिसमे किसान अपनी फसल आड़तियो के चक्कर में न पड़ कर सीधे व्यापारी को बेच सके और जब ये व्यवस्था मोदी सरकार ने लागू कर दी तो इनका रोजगार चला गया जिसके बाद एक बहुत बड़ा खेल खेला गया और इन लोगो ने सड़को पर आकर आम जनता को हद से ज्यादा परेशान कर दिया।
अब जब तीनो कानूनों को वापिस लेने का निर्णय सरकार ने ले लिया हैं तो फिर भी इन धरने से क्यों नही उठ रहे ये लोग आखिर?? 
इनका लक्ष्य अगले सांसद चुनाव तक धरने को बनाए रखना था परंतु मोदी सरकार ने बीच में ही कानून वापसी कि घोषणा कर के इनका रोजगार इनसे छीन लिया जिसके कारण ये लोग अब बहक चुके हैं और मीडिया में आकार अजीब से भाषण दे रहे हैं जिससे जनता को फिर से भड़काया जा सके।
किसान आंदोलन के कारण कृषि कानूनों की वापसी के कारण कई अन्य देश के अंदर छुपे हुए गद्दार बैठे हैं जो फिर से कई आंदोलन के कर आयेंगे और दिल्ली में फिर से धरने पर बैठ जायेंगे। धरने पर बैठना आज के समय में एक नया फैशन बन चुका हैं । जिस बंदे को लाइमलाइट में आना होता हैं वो या तो सरकार के विरुद्ध, या फिर हिंदू धर्म को अपमानित कर के या फिर एसे बिना सर पैर वाले धरने शुरू कर देते हैं।
मोदी सरकार का ये फैसला देश के काफी लोगो को पसंद नही आ रहा हैं और उनकी सरकार से यही मांग हैं की देश के छोटे किसानों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इन कानूनों को किसी न किसी तरीके से दुबारा लागू किया जाए ।
राहुल गांधी और अन्य कई कांग्रेस नेता पुलिस पर ट्रैक्टर चढ़ाने वाले गद्दारों को शहीद कह रहें हैं। इन जैसे लोग ही देश के असली आंतरिक दुश्मन हैं। ऐसा विपक्ष किसी भी देश में नहीं होता हैं जो अपने निजी फायदे को देश हित से ऊपर रखते हो।
कांग्रेस सरकार और गांधी परिवार ने हमेशा सत्ता के नशे ने चूर रहते हुए देश के लाखो लोगो को बेरोजगार और उनके घर परिवार से दूर किया हैं चाहे वह 1947 के बंटवारे का हो या फिर सिक्ख दंगो में 1984 में मारे गए हजारों सिक्खों के बारे में हो, हर बार मुख्य केंद्र गांधी परिवार ही रहा हैं।
एसे ही और लेख पढ़ने के लिए हमारे फेसबुक और इंस्टाग्राम पर हमे फॉलो कीजिए।।
जय हिंद जय भारत🇮🇳🇮🇳

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *