किसान आंदोलन या फिर शाहीन बाग़ 2.0

पिछले कुछ दिनों से जो ये दिल्ली में धरना देकर आम जनता को परेशान करने वाले क्या वास्तव में किसान आंदोलन ही हैं या फिर उसकी आड़ में कोई गंदा राजनीतिक खेल??

हरियाणा ओर पंजाब से दिल्ली आने वालो रास्तों पर जाम कर के बैठ जाना ओर फिर आम जनता को परेशान करना ये कोनसा किसान करता है?? ये किसान नहीं किसान के वेश में छिपे हुए आड़तिये ओर दलाल हैं तभी तो मंडी व्यवस्था को फिर से लागू करने के लिए नारेबाजी कर रहे हैं।
सब जानते हैं कि इस मंडी व्यवस्था के समाप्त होने के बाद से जो ये दलाल ओर आड़तीये हुआ करते थे जो किसान की मेहनत कर के उगाई हुई फसल को मंडी में बिकवाने के लिए मोटा पैसा कमिशन के रूप में लेते थे इन लोगो को अब वो दुकानदारी बंद हो गई तो फिर खेल रचा गया कि क्यो ना इस कृषि कानून से देश में फिर से एक बार माहौल बनाया जाए बिल्कुल वेसा ही जैसा पिछले साल शाहीन बाघ मे हुआ था, उस समय उस जगह भी इकट्ठा हुए सारे मुसलमान इनकी तरह ही भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे ओर अब ये किसानों के रूप में बैठे दलाल भी यही कर रहे हैं।
पंजाब से इस खेल की शुरुआत इसलिए की गई है जेसे आप सब जानते हैं कि सिक्खों ओर गांधी परिवार की कभी बन नहीं सकती, क्यो सत्ता में आने के बाद भी सोनिया गांधी ने अपने युवा पुत्र को प्रधानमंत्री नहीं बनाया अगर उसे बनाया जाता तो वो देश का सबसे युवा प्रधानमंत्री होता आज तक के समय का,परन्तु उसको प्रधानमंत्री की कुर्सी पर ना बैठान का राज इन्हीं सिक्खों से जुड़ा हुआ है। 
इंदिरा गांधी ओर भिंडरवाले के समय में जब स्वर्ण मंदिर पर खालिस्तान समर्थको ने कब्जा जमा लिया था  ओर उसके बाद सेना की मदद से स्वर्ण मंदिर को खालिस्तानी समर्थको से आज़ाद करवाया गया था।
इंदिरा की हत्या करने वाले सरदार ही थे ओर आज तक ये भारत की जानता सब जानती है कि अगर गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा तो फिर देर सवेर वो मेरा जरूर जाएगा।
आज जब फिर से वहीं माहौल दिल्ली में बनाया जा रहा है किसानों के नाम पर  ये बिल्कुल ग़लत हैं सरकार को इस पर जल्द से जल्द कोई सख्त निर्णय लेना चाहिए।  कभी कोई कहता है कि हमे हमारा  मूलनिवासियों के लिए अलग देश चाहिए, कोई कहता है इस्लाम वालो के लिए हमे फिर से भारत में दूसरा देश बनाने दो ओर कुछ कहते हैं कि हम खालिस्तान बनाएंगे, 
भाई ये भारत है ये कोई धर्मशाला नहीं हैं या कोई सरकारी जमीन का टुकड़ा नहीं हैं जो तुम लोग कब्जा कर लोगे, ये देश बनाया हिंदुओ ने हैं इस पर शासन भी हिंदुओ ने किया है, इस देश की रीढ़ की हड्डी हिन्दू हैं फिर भी आज के समय में हिन्दू ओर सनातन संस्कृति का मज़ाक बनाया जा रहा है, ओर आज  इस तथाकथित किसान आंदोलन में ऐसी कुछ हरकते हुई है जो अशोभनीय हैं।
आज जो ये पंजाबी ओर हरयाणवी नट जो इन पाखंडियों ओर देश विरोधी नारे लगाने वाले लोगो का समर्थन कर रहे हैं, ओर आज ये बढ़ चढ़ के कहते फिर रहे  हैं कि हम किसान पुत्र हैं जमीन हमारी मा हैं वगेरह वगेरह??
अब भाईयो एक बात बताओ कोई अपनी नौकरी पाने के लिए अपनी मां को किसी ओर के पास छोड़ के आ जाएगा क्या या फिर उसको बेच देगा क्या?? 
आज जो ये बड़े बड़े कलाकार जों खुद को सुपरस्टार बताते हैं परन्तु वास्तव में ये एक नट हैं जो लोगो का मनोरंजन नाच कूद के करते हैं। इन सिंगर   ओर नाचने वाली नचानियों ने कई बार इंटरव्यूज में ये स्वीकार किया है कि इन लोगो के कैरियर की शुरुआत या तो इनकी खानदानी जमीन बेच कर हुई है या फिर उसे गिरवी रख कर?? 
भाई किसान के लिए उसकी जमीन मां सामान होती है किसान मरने को मर जाएगा पर अपनी जमीन नहीं जाने देगा, ओर ये साले अपनी मां समान  धरती को बेचकर ओर उस गिरवी रखकर आज अपने आपको धरतीपुत्र कहते फिर रहे हैं।
मेरी बात कड़वी लगेगी पर सत्य कहता हूं कि इस देश की जनता से ज्यादा मूर्ख पूरे संसार में ओर कोई नहीं है, या तो यहां लोग बोतल में बिकते हैं या फिर नोटों में, इस देश मे अधिकांश लोगो का जमीर मर चुका है यहां पैसे के लालच में आज सब कुछ बिकता हैं जेसे अब दिल्ली की सबको पर लोगो का जमीर बिक रहा है जिसकी रोज कीमत नोटों मे अदा होती है ।
कुछ लोग कहते हैं कि किसान आंदोलन में फंडिंग की बात कर के लोगो ने गलत कर दिया?? अब भाई मुझे ये बताओ तुम की  तुम्हे किसान बिल को समझने में इतना टाइम क्यो लग गया?? 
बिल ये तो हैं नहीं की अभी 10 पहले आया है आए हुए बिल को समय हो चुका है तब आप किधर सोए हुए थे??
बिहार चुनाव में व्यस्त थे क्यो सहिं कहा ना?? बिहार चुनाव में पैसे बांटे गए लोगो को बहकाया गया परन्तु फिर भी जिस राज्य की पिछड़ा बताया जाता है वहां के लोगो से ये एसे व्यवहार करते हैं जैसे की वो इनके सामने कुछ हैं ही नहीं, परन्तु वहां की जनता ने अपनी समझदारी का परिचय दे दिया था बिहार चुनाव में तो उसके बाद विपक्ष ओर बाकी टुकड़े टुकड़े गैंग की इक्कठा करने का समय आ गया था, शाहीन बाघ वाली शेरनियों को फिर से बुलाने ओर उनको पैसे बांटने के खेल सुरु करने की सारी प्लांनिंग ओर प्लॉटिंग हो चुकी थी, परन्तु इसके बाद इन नेताओ के समस्या ये आ गई की अगर सब कुछ शाहीन बाघ जैसा ही फिर से कॉपी कर दिया तो जनता समझ जाएगी इसलिए पहले शुरू हुआ नाट्य रूपांतरण ओर पटकथा लेखन एक पूरे आंदोलन की जिसे किसानों का नाम देकर देश ली सरकार पर दबाव बनाया जा सके ओर आगे आने वाले ओर मुख्य बिल जनसंख्या नियंत्रण कानून ओर कॉमन सिविल कॉड के अपोजिट मे एक माहौल  बनाने की शुरुआत की जाए।
इसके लिए इन्हे फिर से जरूरत थी हजारों लोगों की भीड़ की ओर उस भीड़ को जुटाने के लिए अरबों रुपए की फंडिंग की,  
पहले शाहीन बाघ के किराए के शेर ओर शेरनियों को सिक्ख मर्द ओर औरतों मे उनका वेशभूषा ओर पगड़ी से बदला गया फिर कुछ पक्के कांग्रेसी चमचों ओर चंद्रशेखर रावण जेसे देशद्रोही कुत्तों को इक्कठा की गया दिल्ली की सबको पर जा के भौंकने के लिए।
अब ये सारा पैसा आया  किस जगह से?? आज उस जगह काजू ओर बादाम के ढेर लगे हैं इन नकली किसानों को खिलाने के लिए, ये पैसा किस जगह से आया?? इसकी विस्तृत जांच होनी अति आवश्यक है।  जब फंडिंग इनके पास आ चुकी तो फिर खेल शुरू हुआ माहौल बनने का भारत सरकार के विरोध में क्योंकि ये बिल तो बिहार चुनाव से पहले आ चुका था परन्तु उस समय आंदोलन करने के लिए सबको पर इसलिए नहीं आ पाए क्योंकि उस समय सारे ये नकली किसान बिहार की नेताओं की रैलियों में उनके शक्ति प्रदर्शन में शामिल होते थे।
पंजाब का मुख्यमंत्री इटली वाली महारानी की चमचागिरी करते करते इतना अंधा हो गया है कि उसे अपनी बरबादी नहीं दिख रही है।
एक साधारण किसान ये अच्छे से जानता हैं की  जो सरकार पहली बार किसानों के लिए सालाना एक निश्चित धनराशि उनकी निजी सहायता के लिए सीधे उनके बैंक अकाउंट में स्थानांतरण कर देती है क्या बो सरकार इस देश के  वास्तविक अन्नदाता के साथ अन्याय करेगी??
आज देश का बच्चा बच्चा जानता है कि मोदी जी ने किसान ओर रक्षा विभाग के बारे में हमेशा फैसले बहुत शानदार लिए हैं ओर नए कानून को बना कर के  उन्होंने इस बात को फिर से साबित कर दिया है।
इस कानून का असर लोगो को कुछ महीनों बाद पता चलेगा फिर जो लोग आज हवा हवा में ओर सोशल मीडिया पर अपनी हवा बनाने के नेतागिरी करने के लिए इस सुनियोजित रूप से तैयार किए गए इस आंदोलन में अपने किए गए समर्थन के लिए बाद में अपने घुटनों में सर दे के रोएंगे।
जब जांच मे सामने आएगा ना की ये सब एक प्लानिंग के तहत देश की सरकार को परेशान करने के लिए जो राजनीति की जा रही थी उस समय मेने उनका साथ क्यो दिया?? फिर ये सोच सोच के ज़िंदगी भर खुद को कोसते रहना।
जिस किसी को समझ में नहीं आ रहा हो ना बिल का फायदा क्या है ओर नुकसान क्या है तो बता देना?? समझाना आता है मुझे अच्छे से आपको इसके फायदे ओर नुकसान दोनों विस्तृत रूप से बता दिया जाएगा।
किसानों के नाम पर जो ये नट इक्कठा हुए हैं ओर स्वांग कर रहे हैं अगर इन किसानों की कृषि भूमि की जांच की जाएगी ना तो उसमे केवल  20% एसे मिलेगे जिनका वास्तव ने कृषि से कोई रिश्ता है नहीं बाकी तो उसमे से लगभग फेक ही हैं।
मेरा भारत सरकार से आग्रह है कि एक तो इन इक्कठे हुए कलाकारों के सारे बैंक अकाउंट ओर इनके परिवार वालों के बैंक अकाउंट की गहन जांच होनी चाहिए ताकि वास्तविकता सामने आ जाए ओर हमारे देश के किसानों को बदनाम करने की साजिश करने के लिए इन नकली किसानों पर कठिन से कठिन कार्यवाही की तैयारी की जाए।
जय हिन्द जय भारत

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