किसान आंदोलन 2020/ Farmers Protest Delhi 2020

भारत एक कृषि प्रधान देश है ओर भारत की आबादी कि 50% से ज्यादा जनता कृषि पर निर्भर हैं। किसान भारत की रीढ़ कि हड्डी हैं ये वो अन्नदाता हैं जो केवल भारत ही नहीं अपितु पूरे संसार में खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाते हैं। ये वही भगवान हैं जो पूरे साल अपने खेतो में जी तोड़ मेहनत करते हैं ओर फिर अपनी पसीने की कमाई चाहे कम हो या ज्यादा उसमे संतोष रखते है ज्यादा लालच इनको नहीं है। 

किसानों के साथ लगभग हर सरकार ने भेदभाव किया है हर बार आने वाले सालाना बजट में किसान आस लगा कर इंतजार करते रहते हैं कि आखिर इस बार तो उनके लिए भी बजट में सरकार कुछ देगी परन्तु आज़ादी के बाद लगभग 70 सालो तो तक हकीकत वही समान ही बनी हुई है पिछले कुछ समय से वर्तमान सरकार ने किसानों के लिए कुछ निर्णय लिए जिनका कुछ लोग विरोध करते हैं कुछ लोग उस का समर्थन कर रहे हैं।
मोदी सरकार ने 2020 में किसानों के लिए नए बिल बनाए जिन्हें विपक्षी नेताओं काला कानून कह कह कर देश कि जनता को सड़कों पर आने के लिए विवश कर दिया है। सरकार ने कई सालो बाद किसानों के हित मे कुछ करने की कोशिश की परन्तु विपक्ष को अपनी नैया डूबती दिखी तो उसने किसानों की बांह पकड़ ली।

किसानों को मोहरा बनाकर ये सारा खेल वामपंथी विचारधारा वाले लोग ओर विपक्ष कर रहा है जिन्हे खुद का नुकसान बर्दाश्त नहीं।
इसमें मेने खुद के नुकसान की बात इसलिए कि हैं कि इस कानून के आने से पहले मंडियों ओर किसानों के बीच में जो दलाल हुआ करते थे उस दलाल पर्था को बंद करने की मोदी सरकार ने कोशिश की हैं जिसका विपक्ष को विरोध करना अब आवश्यक हो गया है क्योंकि इन दलालों में जो मंडी ओर किसानों के बीच में हुआ करते थे इनमें से 80% से ज्यादा देश के नेताओ के लोग ही हैं इस प्रकार इनका इस कानून के आने से होने वाला अरबों का नुकसान होता दिख रहा है जिसके कारण भोले भाले किसानों को भड़काया जा रहा है।

राजस्थान में किसानों के साथ वादाखिलाफी करने वाले राजस्थान के कुछ बड़े नेता इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे  हैं कि किसान तो अपने हक़ के लिए आवाज उठा रहा है हम भी राजस्थान से किसानों को दिल्ली जाने की अनुमति ओर उनके जाने की व्यवस्था कर देंगे, ये बयान राजस्थान कि एक बड़ी कांग्रेस नेता का हैं जो वादाखिलाफी में सबसे आगे थे ओर वादा करने में भी सबसे आगे परन्तु वादा निभाया कभी नहीं।
बिजली बिल 10 दिन में माफ करने का बोल के सरकार में आए थे परन्तु बिजली बिल माफ करना तो दूर ऊपर से गरीब किसानों पर उस बिल पर एक्स्ट्रा चार्जेज लगा कर आर्थिक भार बढ़ा दिया है।

एमएसपी (MSP) पर राजनीति क्यो??
एमएसपी अर्थात् न्यूनतम समर्थन मूल्य,  जों भीड़ आज दिल्ली में इक्कठा की गई है पैसों के लालच में आए हुए लोगो की उनमें से 80%  को तो एमएसपी का पूरा नाम भी नहीं पता होगा, ओर अगर इसमें किसी को कोई शक हैं तो दिल्ली पंजाब हाईवे पर चाले जाना ओर उस जगह प्रदर्शन कर रहे लोगो से पूछना कि आखिर ये क्या हैं एमएसपी??  

आधे से ज्यादा लोगो को तो ये भी नहीं पता  हैं की आखिर ये एमएसपी क्या हैं ओर ये बात मेने खुद अपने आंखो से देखी है उस जगह पर तभी लिख रहा हूं।
इस भीड़ में आए हुए लोगो में से अधिकांश युवा हैं ओर बाकी कुछ हो सकते है कि थोड़े बहुत वास्तविक किसान भी बहकावे में आकर आ गए हो परन्तु इस भयंकर सर्द में मेने ती किसानों को अपनी फसलों की रखवाली करते देखा है फालतू की राजनीति करते सड़कों पर नहीं। आज भी जब कई किसानों से जाकर बात की तो अधिकांश इस बिल को किसानों के हित मे मानते है ना कि विरोध में तो फिर ये आखिरकार विरोध करने वाले किसान किधर से आ गए जब किसान इसका समर्थन कर रहा हैं तो ये लोग कोन हैं??
क्या ये भी शाहीन बाग जैसी हैं नौटंकी हैं या फिर सत्यता कुछ ओर हैं??
जब से किसानों ओर मंडियों के बीच से दलाली समाप्त हुई है तब से ये आंदोलन हो रहा है ओर इसका बढ़ावा अब बिहार में चुनावों के परिणाम आने के बाद ज्यादा हुआ है तो इसका क्या अर्थ है??

ये कुछ सोची समझी रणनीति के तहत देश में माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है, क्यो केवल पंजाब से जत्था आया दिल्ली में, जों अब भड़का कर हरियाणा में भी लोगो को तैयार किया जा चुका है आगे ओर भीड़ दिखाने के लिए,  जब हरियाणा के मुख्यमंत्री ने पंजाब के मुख्यमंत्री से इस बारे में बातचीत करने की कोशिश की गई तो क्यो उसका जवाब पंजाब के मुख्यमंत्री ने नहीं दिया?? आखिर ये हो क्या रहा है देश में??
जब पंजाब मे नए कृषि बिल को मुख्यमंत्री ने लागू हीं नहीं किया तो पंजाब के किसानों को दिक्कत क्या है?? जब जिस जगह ओर राज्यों में ये बिल लागू किया जा चुका है उक्त राज्य के किसानों को इस बिल से कोई दिक्कत नहीं है तो फिर जब जिस राज्य में ये बिल लागू हीं नहीं हुआ अब तक उस राज्य के लोगो को क्या दिक्कत हैं फिर इससे?? ये सब देखकर तो कोई अंधा भी ये कह देगा की ये सोची समझी रणनीति हैं जों देश में माहौल को बिगाड़ने की कोशिश के लिए बिछाई गई हैं ओर इसका उत्तर भी भारत की आम जनता बहुत जल्दी ही इन लोगो को दे देगी।

क्या नए बिल में किसी जगह लिखित रूप में दर्ज हैं कि एमएसपी को हटाया जा रहा है??
नहीं ना, फिर क्यो फालतू मे नौटंकी कर के देश में माहौल को बिगाड़ रहे हो,   अनपढ़ हो?? 
या फिर पढ़े लिखे अनपढ़ हो??
जो इतना समझ में नहीं आता लोगो को कि कानून बनना कोई बच्चो का खेल नहीं है जो, कुछ ही क्षणों में तुम्हारे लिए बदल देंगे या फिर  कानून में लिखित में दिए बिना सरकार कुछ कर सकती है अपने दम पर बिना लिखित मे दिए अगर सत्ता में हैं तो?? 
अगर आपको इसका उत्तर है लगता है थी आप सरासर गलत हैं कोई भी सरकार हो चाहे कितनी ही सालो से सत्ता में हो अगर उसने कोई कानून बनाया है या कोई कानून में कुछ बदलाव कर रही है तो सरकार को हर एक बदलाव के बारे में लिखित मे देना उस कानून में जरूरी है।

 

इतनी सी बात समझने की हैं, ओर भारत सरकार ने नए कृषि कानून में किसी भी जगह पर ये नहीं लिखा है कि एमएसपी को समाप्त किया जा रहा है।
जब एमएसपी को बंद करने के बारे में लिखित मे नहीं दिया है तो इसका मतलब ये है कि पुराने कानून में जो एमएसपी रहती थी वो निरंतर यथावत बनी रहेगी उसमे कोई बदलाव नहीं होगा।

अगर सरकार एमएसपी को बंद करती तो सरकार को कानून में लिखित में इस बात को देना पड़ता की नए कानून के लागू होने के बाद में एमएसपी बंद हो जाएगी।

सरकार भी बिना लिखित मे दिए नहीं कर सकती इतना समझने की जरूरत है बस, की सरकार में निर्णय मौखिक रूप से नहीं लिए जाते हैं हर एक निर्णय ओर कानून के लिए लिखित में देना पड़ता है जो प्रावधान लगाने हैं उनके बारे में विस्तृत रूप से बखान करना पड़ता हैं।
देश की आम जनता से बस इतना निवेदन हैं कि किसी भी नेता चाहे वो भाजपा  का हो या कांग्रेस का या फिर किसी ओर पार्टी का,उनके मौखिक रूप से दिए गए बयानों पर कभी विश्वास मत किया कीजिए, अगर कुछ बदलाव हुआ है या बदलाव किया गया है तो आप खुद उसके बारे में लिखित रूप से प्रमाणित सबूत देखिए उसके बाद ही अपना निर्णय लीजिए, नहीं तो ये नेता अपने निजी स्वार्थ के लिए हमे ही आपस में लड़ाकर मर डालेंगे ओर खुद  सुकून से बैठकर मलाई खाएंगे ओर तमाशा देखेंगे।
जय हिन्द जय भारत

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