वर्तमान में भारत में राजनीति एक अलग ही अंदाज में अपना कहर बरपा रही हैं अब तो राजनेता इतना नीचे गिर चुके हैं कि किसी को लाश पर भी राजनीति करने से नहीं चूकते। इसका ताजा उदाहरण हाथरस की घटना में हो रही राजनीति की हैं में ये नहीं कहता कि हो दोषी नहीं हैं परन्तु दोषी हैं तो सीबीआई जांच हो रही है ओर उन्हें दंड मिलेगा। एक बच्ची कि लाश को सामने रख कर सत्ता लोभ के कारण विपक्षी पार्टियों ने कितनी चाले चली हैं। इस मुद्दे को जातिगत बनाने में रावण जेसे दरिंदे का भी बहुत बड़ा हाथ है जो अपनी जाती की बेटी की लाश का तमाशा बना सकते हैं उसकी मौत को भी अपने निजी फायदे में बदल सकते हैं उन लोगो से जनता क्यो उम्मीद लगा के बैठी हैं मुझे आज तक ये समझ में नहीं आया, इन जेसे कुछ चवन्नी छाप नेताओ ने देश की दुर्गति कर दी हैं।
अगर बलात्कार जैसी घटनाएं रोकनी हैं तो सबसे पहले अपने घर से शुरुआत करे अपने बच्चो को अच्छे संस्कार दे। पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से अपने बच्चों को जितना बचा के रख सकते है रखो। आज का समाज किसी कि लाश की भी परवाह नहीं करता है अगर आपकी लाश सामने रखी होगी तो भी लोग उसके सामने बैठकर भोजन करने से भी नहीं कतराएंगे।
ओर इस निष्ठुर समाज को आइना दिखाया हैं हाथरस की हुई उस घटना ने कि केसे इन नेताओ के लिए किसी की बेटी ओर बहू की इज्जत ओर जान सिर्फ एक मोहरा हैं उनकी राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिए। ये लोग किस मुद्दे पर बोलना हैं ओर किस पर नहीं शायद इस पर भी विचार विमर्श करते हैं पार्टी नेतृत्व या फिर जो इन्हे फंड देता है उनके साथ, कुछ तो झोल हैं इनके इस राजनैतिक खेल में क्योंकि एक प्रदेश में किसी बलात्कार की घटना को लाइमलाइट में लाते है क्योंकि उस प्रदेश में विरोधी पार्टी की सरकार हैं जबकि राजस्थान में लगभग उसी समय पर 1 दर्जन से ज्यादा बलात्कार कि घटनाएं हुई थी परन्तु राजस्थान तो कोई नहीं गया?? क्यो भाई राजस्थान कि बच्चियों की जान की ओर इज्जत कि कोई कीमत नहीं हैं क्या या वी अमूल्य नहीं हैं??
इन नेताओ की ऐसी हरकतों से हीं इनके अंदर के वास्तविक इंसान से जनता का परिचय होता है परन्तु भारत कि जनता बहुत बड़े दिल वाली ओर भोली हैं जो इनको बार बार माफ कर के फिर मौका दे देती हैं।
मेरे विचार में किसी भी बलात्कारी को सजा देने के साथ साथ आगे की पीढ़ी को सुरक्षित करना होगा ओर उसके लिए आपको अपने बच्चो में संस्कारो को कुट कूट कर भरना होगा नहीं तो आगे किस की बेटी की लाश पर राजनीति करेंगे ये लोग कुछ नहीं कहा जा सकता।
ये लोग कुंठित मानसिकता के शिकार हैं जिनको चाहे लाख समझा लो पर उससे भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा इन लोगो को क्योंकि ये उस चिकने घड़े की तरह हैं जिस पर चाहे जितना पानी डाल लो पर वो फिसल कर सीधे नीचे ही गिरेगा।
अगर इस बेटी की जगह किसी नेता की बेटी होती तब देखते की क्या वो धरना देने बैठते हैं या फिर दोषियों को अपने पॉवर से मरवा देंगे?? अगर वो कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं??
किसी की बहन बेटी पर कोई बुरी नजर डाले तो उसे जमीन में गाड़ दो परिणाम की परवाह मत करो की आगे क्या होगा ओर क्या नहीं??
अगर हम सत्य के राह पर हैं तो हमें किसी चीज या किसी भी परिणाम से भयभीत होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि परिणाम उन्ही का आता हैं जो परीक्षा देते हैं, ओर हमारे सनातन धर्म में तो साफ साफ लिखा है कि अगर एक औरत की इज्जत बचाने के लिए किसी के घाट भी उतारना पड़े तो चुको मत यही हमारी वास्तविक संस्कृति हैं हम डर कर भागने वालो में से नहीं हैं हम रुक कर सामना करने वालो में से हैं।
देश में अगर आंतरिक रूप से सुधार लाना है तो आम इंसान को आगे बढ़ना ही पड़ेगा किसी भी हाल में एसे दरिंदो के खिलाफ क्रांति का बिगुल बजाने में ही देश का अच्छा भविष्य हैं इस गंदगी को देश से उखडकर बाहर फेंकने का समय नजदीक आ चुका है अब, बस इस पर पूर्ण रूप से अमल करना बाकी है।
सधन्यवाद
अज्ञात भारतीय की कलम से
जय हिन्द जय भारत