दंगे ओर राजनीति

देश के विभिन्न क्षेत्रों में पिछले कुछ महीनों से होने वालेे इन दंगो ओर सोची समझी साजिशों से देश को बचाने के लिए सर्वप्रथम तो देश के हर नागरिक को चाहे वो किसी पार्टी धर्म या किसी भी विचारधारा का हो उसे अपने निजी हित से ऊपर उठकर अब देशहित के बारे में सोचने का समय आ गया है। कुछ चंद लोगो ने देश की छवि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बिगाड़ के रख दी हैं। ये सारे दंगे एक सोची समझी रणनीति के तहत कराए जा रहे हैं फिर भी कई राजनेता ओर कुछ अन्य लोग ओर ऐसे हैं जो बाकी तो हर मुद्दे पर अपनी राय थोपते नजर आ जाएंगे परन्तु जब भी कोई इस्लामिक विचारधारा के साथ केरल जेसे दंगे होते हैं तो ये लोग पता नहीं किस बिल में छूप कर बैठे जाते हैं कि इनकी आवाज भी नहीं सुनाई देती हैं। राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन से इन्हे दिक्कत हैं उसमे खामियां निकाल सकते हैं परन्तु जब बात राष्ट्र में फैलाए जा रहे वैमनस्यता ओर इन दंगो के विरोध में कार्यवाही करने की होती हैं तो इन लोगो के मुंह पर ताला लग जाता है।  

दिल्ली दंगो के राज अब खुल कर सामने आ रहे हैं कि शाहीन बाग से ही दिल्ली दंगो का सारा खेल रचा गया था जिसमें कुछ राजनीतिक कनेक्शन भी हैं। जब अमेरिकन प्रेसिडेंट भारत के दौरे पर थे तो उस समय पर जान बूझ कर दिल्ली में दंगे करवाए गए ताकि देश की छवि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर धूमिल हो सके।   
आम जनता को अब देश को अपनी जिम्मेदारी समझकर इन जेसे कुछ चंद लोगो को जवाब देना चाहिए जिससे कि इन लोगो की आगे से ऐसी हरकते करने की हिम्मत ना बने।  इस्लाम पर की गई एक सोशल मीडिया पोस्ट के कारण इन कथित शांतिप्रिय समाज के लोगो ने एक पूरे शहर को तबाह कर दिया उस जगह की शांति का हनन कर दिया, परन्तु ऐसी ही कोई पोस्ट जब किसी मुस्लिम द्वारा हिन्दू देवी देवताओं पर की जाए ओर उसके विरोध में अगर किसी ने थोड़ा सा कुछ कह भी दिया तो इनका इस्लाम खतरे में आ जाता है, ओर कांग्रेस जैसी कई अन्य पार्टियों के नेता इन देशद्रोहियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो जाते हैं,इनके मानवाधिकार भी तभी खतरे में पड़ जाते हैं ओर जब आज के समय में केरल में हालात इतने बदतर हैं तो बार बार मानवाधिकार आयोग में अर्जी लगाने वाले सारे दोगले वामपंथी अब गायब  हैं क्योंकि अब हत्या हिन्दू की हो रही है मुस्लिम की नहीं। कुछ समय पहले हरियाणा के मेवात ओर बंगाल में भी हम ऐसे हालात देख चुके हैं फिर भी हमने उन हालातो से कुछ भी नहीं सीखा हैं अगर सीखा होता तो अब तक इन लोगो को जवाब मिलना शुरू हो गया होता। 
देश के अंदर लगातार बिगड़ते हालात के जिम्मेदार जितने ये लोग हैं उतने ही हम जेसे कुछ वो लोग भी हैं जो सब कुछ जानते हुए भी अपना मुंह बंद कर के बैठे रहते हैं या तो किसी पार्टी का पक्ष करते हुए या फिर शायद उनकी सोच या इच्छा भी इन दंगाइयों जैसी हैं।  जब योगी जी इन दंगाइयों से उनके घर बेचकर किए गए नुकसान की भरपाई करते हैं तो कुछ नेताओ के सीने में दर्द उठने लगा जाता हं की इन गरीबों का घर नीलाम कर रहे हो, क्यो भाई?? किसी तरह का निजी रिश्ता हैं क्या तुम लोगो का??
अगर इन लोगो को रोकना हैं तो इनके द्वारा किए जाने वाले अत्याचार का सामना इन्हीं की भाषा में देना होगा।   कई महान विद्वानों ओर राजाओं में कहा हैं की दुश्मन जिस भाषा में समझता हो उसको अगर उसी भाषा में समझाया जाए तो उसके दिमाग में वो बात जल्दी आएगी, हमे भी अब वही करना हैं इन दंगाइयों को इन्हीं की भाषा में जवाब दो, 
ये गांधी के भारत के साथ सुभाष चन्द्र बोस जी का भी भारत हैं जो खून के बदले खून बहाना भी जानता है। अपनी हद में रहेंगे तो अच्छा है नहीं तो देश का एक समझदार वर्ग इनकी इन नापाक हरकतों को कब तक सहन करता रहेगा उनके सब्र का बांध भी अब टूट रहा हैं ओर जिस दिन वो टूट गया उस दिन दुनिया तमाशा देखेगी उन शांतिदूतों का, जो हाल अन्य मुगल आक्रांताओं के हुए थे वहीं इनके होंगे। 
चाणक्य की कूटनीति ये देश आज भी नहीं भुला हैं ओर उसका नमूना आप लोग पिछले 7 सालो से देश में देख ही रहे हैं वो तो शायद चाणक्य की नीतियों की 10% भी नहीं हैं, परन्तु फिर भी विद्रोहियों के आग़ सुलगाने के लिए काफी हैं।
राष्ट्रहित सर्वोपरि 🙏🙏
जय हिन्द जय भारत

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