वर्तमान हालात में राजनीति

इस समय जब पूरे संसार में कोरोना महामारी ने अपने पैर पसार रखे हैं, जब पूरे विश्व ने इस बीमारी के सामने अपने घुटने टेक दिए हैं, बड़ी बड़ी महाशक्तियों की शक्तियां धरी की धरी रह गई, न्यूक्लियर बॉम्ब ओर विध्वंस का सामान भी कुछ काम नहीं आया ओर इस बीमारी ने पूरे विश्व को प्रकृति की वास्तविक रूप दिखा दिया, की पूरे ब्रह्माण्ड में प्रकृति से बढ़कर कुछ नहीं हैं। प्रकृति ही जननी हैं ओर प्रकृति ही विध्वंसक हैं। आज जब वर्तमान में भारत को इस महामारी के समय में पूरे विश्व का नेतृत्व करते हुए देखते हैं तो मन खुशी से फूला नहीं समाता, लगता है कि भारत पुनः अपने वास्तविक स्वरूप को पाने में लगा हैं। परन्तु कई बार कुछ ऐसी हरकते देखने को मिल जाती हैं जिससे मन बहुत आहत हो जाता है। पिछले दिनों महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं ओर उनके साथी की लाठियों से मार कर निर्मम हत्या कर दी जाती हैं, ये वही महाराष्ट्र है जहां बाला साहेब ठाकरे ने हिंदुत्व को अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था, परन्तु आज जब उन्ही हिन्दू हृदय सम्राट बाला साहेब, ओर छत्रपति महाराज शिवाजी की धरती पर साधुओं कि समुदाय विशेष के लोगों द्वारा निर्मम हत्या कर दी जाती हैं ओर उन्हीं बाला साहेब का बेटा उद्धव ठाकरे अपनी नई राजमाता इटली वाली महारानी के कहने पर सबूतों को दबाकर इन साधुओं कि हत्या में हिन्दू ही दोषी हैं ये साबित करने में लगा हुआ है। वाह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री लगता है अब बाला साहेब का खून पानी हो चुका है उसकी रगो से, हिंदुत्व के नाम पर वोट लेे के जनता को मूर्ख बना के सत्ता के लालच में इटली वाली महारानी के पैरो में गिर गया ओर अब तो इतना नीचे गिर गया की सारे सबूतों को अनदेखा कर के ये साबित करने में लगा हुआ है कि हत्या करने वाले मुस्लिम थे ही नहीं। जो विडियोज उस रात के आए हैं उसमे साफ साफ सुनाई देता है कि “मार शोएब मार” अब एक सवाल ये मुस्लिम नाम वाला हिन्दू केसे हो गया ?? इसका उत्तर भी हैं क्यूंकि ये मारने वाले लोग शरद पंवार की पार्टी के लोकल नेता हैं, इसलिए सरकार बनवाने वालों पर कार्यवाही केसे करें शायद यही डर सता रहा हैं उसको नहीं तो उनकी राजमाता नाराज हो जाएगी।

पर समय ज्यादा बाकी नहीं हैं कुछ हिन्दू तो मरे समान हैं वे बस आंखे मूंदकर देखते रहते हैं परन्तु उन लाखों साधुओं को केसे रोकोगे जब वो तुम्हारे महाराष्ट्र में तुमसे साधुओं की हत्या के बारे में सवाल पूछने आएंगे?? क्या मुलायम सिंह की तरह तुम भी उन पर गोलियां चलवाओगे??  एक बात ध्यान में रखना महाराष्ट्र के नेताओ कि ये वो नागा साधु हैं जिन्हें अपनी मौत से कोई फर्क नहीं पड़ता ये अपना श्राद्धकर्म खुद अपने हाथो से करते हैं, इन्हे शास्त्र ओर शस्त्र दोनों की शिक्षा प्राप्त हैं। इनसे उलझने से पहले अगर तुम लोग वास्तविक अपराधी को सामने ला के दंड दे दोगे तो तुम सब के लिए अच्छा होगा नहीं तो साधुओं से उलझने का ओर उनके श्राप के बारे में तुम्हारी राजमाता के परिवार से बेहतर कोई नहीं जानता है। ये कोई संयोग नहीं है कि गांधी परिवार के जितने लोगों की इंदिरा के बाद मौत हुई हैं सबकी बछबारस के दिन हुई हैं ये उस साधु का श्राप है जिसने इंदिरा गांधी को निर्दोष साधुओं ओर गायो की हत्या करने पर दिया था । आज तक उस श्राप का फल भोग रहे हैं ये लोग अब तुम्हारी बारी है ।
तबरेज अंसारी ओर बाकी कई समुदाय विशेष के लोगों की जब भीड़ ने हत्या कर दी थी तो गांधी परिवार के लिए देश खतरे में आ गया था, लेकिन आज जब कुछ निर्दोष साधुओं कि हत्या हो जाती हैं तो उनकी तरफ से कोई संवेदना के दो बोल भी नहीं आए शायद यही निर्ममता हैं उनकी या फिर इनका वास्तविक धर्म जिसमें हिन्दू उनके लिए काफिर हैं।  बाटला हाउस हत्याकांड पर दो दिन तक आंसू बहाने वाली अफजल गुरु की फांसी रुकवाने के लिए चिट्ठी  लिखने वाली आज मौन क्यों हैं?? ये मौन क्या साबित करता है। शायद मुझे बताने की जरूरत है नहीं। गांधी परिवार का खास सेवक इनके तलवे चाटने वाला कपिल सिब्बल आज चुप क्यों हैं, ऐसे तो बहुत भोंकता रहता है वो??
आज जब अरनब गोस्वामी ने कुछ सवाल क्या पूछ लिए उसे जान से मारने के लिए तैयार हो गए ये लोग, मेरे एक सवाल का जवाब क्या मुझे कोई कांग्रेसी देगा कि जब ये कांग्रेस के तथाकथित नेता 15 साल एक राज्य के मुख्यमंत्री रहे ओर 6 साल से प्रधानमंत्री रहे ओर वर्तमान में भी जो प्रधानमंत्री हैं उनकी पुरानी पहचान एक चायवाला से उन्हें संबोधित करते हैं, सोनिया गांधी का बेटा ओर कांग्रेस का चरसी बाबा देश के प्रधानमंत्री को सरेआम चोर कहता हैं तब कांग्रेस के किसी भी नेता ने उसका विरोध नहीं किया लेकिन आज जब अरनब गोस्वामी ने सोनिया गांधी को उसके पुराने नाम से क्या पुकार लिया सारे के सारे कांग्रेसी उसके पीछे पड गए हैं। 
आज  साधुओं कि हत्या पर मानवाधिकार आयोग क्यों चुप्पी साधे बेठा हैं थोड़े दिन पहले जब कुछ मुस्लिम मरे थे तब तो बहुत उछल उछल के अपने बिलों से बाहर फुदक रहे थे वो ?? आज किस बिल में दुम दबा कर बैठे हैं। क्या साधु मानव नहीं हैं??
मुझे पता है मेरी लेखनी से आज कई कांग्रेस के चमचे ओर देशद्रोहियों के सीने में आग लगेगी लेकिन इसका उत्तर अगर सही से दे सको तो स्वागत हैं नहीं तो अपने बिलों में दुबके रहने में ही तुम्हारी भलाई हैं।
अज्ञात की कलम से 🙏🙏

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