Shri Anantha Padmnabhaswamy Temple Mystery| पद्मनाभ स्वामी मंदिर के सातवे तहखाने का क्या रहस्य हैं??|

पद्मनाभ स्वामी मंदिर के सातवे दरवाजे का रहस्य क्या हैं??

भारत मे अनेक प्राचीन मंदिर हैं जो अपनी भव्य नक्काशियों और कलाकृतियों से श्रदालुओ के साथ साथ इतिहासकारों और वैज्ञानिकों का ध्यान भी अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।
भारत में कई शेलियो में बने प्राचीन मंदिर अपने निर्माण से हजारों साल बाद भी आज तक अपने रहस्य को अपने अंदर ही समेटे हुए गर्व से खड़े हैं।
दक्षिण भारत में एसे अनेक प्राचीन मंदिर हैं जो अपनी भव्य नक्काशियों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक मंदिर हैं Anantha Padmanabha Swamy Temple
यह मंदिर दक्षिण भारत के राज्य Kerala के Thiruvananthapuram के अंदर हैं। Thiruvananthapuram को मलयालम में The City Of Lord Anantha (City of Lord Vishnu) कहा जाता हैं।
यह मंदिर मलयाली तमिल शैली में बना हुआ हैं।
इस मंदिर को संसार में Richest Place of Worship भी कहा जाता हैं। 

Padmnabhaswamy Temple Ko Kisne Banwaya Tha??

यह दुनिया का सबसे अमीर मंदिर हैं। इस मंदिर का निर्माण कब हुआ था यह वास्तविकता में कोई भी नही जानता हैं। कई वैज्ञानिकों और इतिहासकारों ने इस मंदिर के ऊपर अपने शोध किए हैं परंतु आज तक कोई भी यह नहीं बता पाया हैं को यह मंदिर वास्तव में कब बना था।
यह मंदिर प्रमुख रूप से भगवान विष्णु को समर्पित हैं। इस मंदिर में भगवान विष्णु की शेष शया पर लेते हुए एक प्रतिमा हैं। जिसके दर्शन करने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु हर रोज आते हैं।
इस मंदिर की गिनती भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में की जाती हैं। इतिहास की माने तो इस मंदिर का पुनर्निर्माण का कार्य त्रावनकोर के महाराजा मार्तंड वर्मा ने 1739 में करवाया था।
इस मंदिर के बारे में आम जनमानस में कई कहानियां प्रचलित हैं उन्ही में से एक प्रमुख हैं की इस स्थान से पहले भगवान विष्णु की प्रतिमा प्राप्त हुई थी उसके बाद इस मंदिर का निर्माण उसी स्थान पर कर दिया गया जहां पर मूर्ति प्राप्त हुई थी।
इस मंदिर के एक तरफ तो समुद्र तट हैं और इस मंदिर के दूसरी तरफ पहाड़िया हैं जो इसके सौंदर्य में चार चांद लगा देती हैं। इस मंदिर के निर्माण में बारिक कारीगरी का प्रयोग किया गया हैं जिसकी सुंदरता देखते ही बनती हैं।
इस मंदिर के अंदर एक स्वर्ण स्तंभ भी हैं जो मंदिर की सुंदरता को और भी बढ़ा देता हैं।
इस मंदिर के गोपुरम का निर्माण द्रविड़ शैली में किया गया हैं। पद्मनाभ स्वामी मंदिर दक्षिण भारत स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना हैं। इस मंदिर के पास ही में एक सरोवर भी बना हुआ हैं जिसे “पद्मतीर्थ कुलम” के नाम से जाना जाता हैं। इस मंदिर की संपति के स्वामी स्वयं भगवान पद्मनाभस्वामी ही हैं। बहुत समय तक इस मंदिर की संपति के देखरेख का कार्य एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता था, जिसका सदस्य कोई त्रावनकोर के राजपरिवार का सदस्य होता था।
इस मंदिर के अंदर बने तहखानों में बहुत अधिक मात्रा में धन छुपा हुआ था। इन तहखानों को खोलने के लिए भारत के Supreme Court ने एक कमेटी बनाई थीं। इस कमेटी की देखरेख में इस मंदिर के अंदर बने 6 तहखानों को खोला गया।
तहखानों को खोलने पर जो उनके अंदर मिला उसे देखकर सारी दुनिया चौंक गई थीं । मंदिर के 6 तहखानों को अब तक खोला गया हैं। इन 6 तहखानों में करीबन 2 लाख करोड़ की धन संपदा सोने, हीरे, जवाहरात के रूप में मिली हैं।
मंदिर के सातवे तहखाने को अब तक नही खोला गया हैं। इस तहखाने को पहले भी कई बार खोलने को कोशिश की गई थी परंतु इसे खोला नही जा सका हैं।
पद्मनाभस्वामी मंदिर का सातवां तहखाना किसी रहस्य से कम नहीं है। इस तहखाने के मुख्य दरवाजे पर दो सांपों की आकृति बनी हुई है एवं इस दरवाजे के ऊपर इसे खोलने के लिए कोई भी ताला या कुंजी नहीं बनी हुई है, अगर मान्यताओं को माना जाए तो इस दरवाजे को वही व्यक्ति खोल सकता है जिसे गरुड़ मंत्र का पूर्ण रूप से ज्ञान हो और  एक ब्रह्मचारी साधु हो।

 इस तहखाने के बारे में कहा जाता है कि यह एक दूसरी दुनिया में जाने का दरवाजा है। इसके बारे में यह भी कहा जाता है कि इस तहखाने के पीछे से समुद्र की लहरों की आवाजें सुनाई देती हैं।
Padmnabhaswamy Temple Mystery

 धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री विष्णु जिस क्षीरसागर में रहते हैं उसका दरवाजा यही है। यहां से भगवान विष्णु के वैकुंठ लोक तक जाया जा सकता है और मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय में अनेक ऋषि और महात्मा इस रास्ते से भगवान विष्णु से मिलने के लिए उनके लोक में जाया करते थे।
 कलयुग के आरंभ होने के बाद में यह दरवाजा पूर्ण रुप से बंद हो चुका है, जिसे खोलने के लिए किसी सिद्ध साधु जो जन्म से ही ब्रह्मचारी हो और जिसे गरुड़ मंत्र का पूर्ण रूप से ज्ञान हो वही इस दरवाजे को खोल सकता है।
 इस दरवाजे के ऊपर जो सांपों की आकृतियां बनी हुई है उन्हें देखकर कई लोग कहते हैं कि इस दरवाजे के पीछे नागलोक भी है। इस दरवाजे के रहस्य को लेकर तो जितने मुंह उतनी बातें हैं परंतु जो सबसे सटीक और लॉजिक के साथ मान्यता है, वह यह है कि इस दरवाजे के पीछे भगवान विष्णु के वैकुंठ लोक का रास्ता है जो सीधे क्षीरसागर में खुलता है।
 भगवान विष्णु की जो प्रतिमा शेषनाग के ऊपर शयन मुद्रा में इस मंदिर के अंदर विद्यमान है, माना जाता है कि भगवान विष्णु क्षीरसागर के अंदर उसी मुद्रा के अंदर शेषनाग की शय्या के ऊपर शयन करते हैं।
 इसीलिए यह तर्क सबसे ज्यादा तर्कसंगत लगता है। जिस तरह से बाकी के 6 तहखानों के अंदर करोड़ों की संपत्ति मिली थी, उसको देखकर कई लोगों का यह भी मानना है कि इस अकेले दरवाजे के पीछे ही इतना धन है जो उन बाकी 6 तहखानों के अंदर भी नहीं मिला होगा, परंतु इस तहखाने को खोला कैसे जाए??
 यह आज तक कोई भी नहीं जान पाया है, पुराने समय में भी इस तहखाने को खोलने के लिए कई चोर और डाकू ने भी कई प्रयास किए हैं परंतु इस तहखाने को खोलने में वे सभी हमेशा से ही नाकाम रहे हैं।
 भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इस दरवाजे को खोलने के लिए मना कर दिया है एवं कमेटी को आदेश दिया है कि इस मंदिर की धार्मिक मान्यताओं को नजर में रखते हुए हमेशा के लिए इस तहखाने को इसकी वर्तमान परिस्थिति में ही रहने दिया जाए। कुछ साधुओं का मानना है कि कलयुग के अंत में जब भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतार लेंगे उस समय पर यह दरवाजा भी अपने आप खुल जाएगा। यह दरवाजा उस देवलोक की तरफ जाने का रास्ता है जो इस सारी दुनिया से अलग और दिव्य है।
 वहां तक पहुंचने के लिए इंसान के अंदर सात्विक शक्तियों का होना बहुत आवश्यक है जो आज के समय में इंसान के अंदर मिलती नहीं है।
 जिनके अंदर वैश्विक शक्तियां और वे गुण हैं वह लोग हिमालय के अंदर अपनी तपस्या के अंदर लीन है। पद्मनाभस्वामी मंदिर के रहस्य को आज तक कई लोगों ने जानने की कई बार कोशिश की है परंतु कोई भी ईसे जान नहीं पाया है।
 इस दरवाजे के पीछे के रहस्य को  जानने के लिए विदेशों से भी कई वैज्ञानिक कई बार यहां पर आकर खोज कर चुके हैं परंतु उन्हें भी इस दरवाजे के रहस्य का पता नहीं लग पाया।
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