Sindhu Border Murder By Nihang Sikkh/किसान आंदोलन में युवक की नृसंश हत्या/#sanataniindian/ Farmer’s Protest/ Rakesh Tikait/ Lakhimpur

दिल्ली के सिंधु बॉर्डर पर पिछले दिनों एक घटना हुई जिसमे एक युवक को कुछ निहंगो द्वारा उसके हाथ पैर काटने के बाद उसकी हत्या की गई। पिछले कई महीनो से देश की राजनीति का मुख्य आकर्षण रहे सिंधु बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में इस घटना को अंजाम दिया गया, जिस युवक की हत्या की गईं उस पर आरोप ये था की उसने उनके धार्मिक प्रतीकों का अपमान किया था।

भारत में पिछले कुछ महीनों से विपक्ष के पास राजनीति करने के लिए बस एक ही माध्यम बच्चा हैं वो हैं वर्तमान में चल रहा किसान आंदोलन जिसका नेतृत्व कर रहे हैं राकेश टिकैत। 
जब ये घटना हुई तो इसके बाद इस घटना को बस एक दुखद दुर्घटना बताकर मुंह मोड़ लेने वाले ये किसान नेता को इसकी जिम्मेदारी नही लेनी चाहिए थी क्या? 

Politics On Dead Bodies

आखिर सिंधु बॉर्डर का मुख्य आकर्षण तो स्वयं राकेश टिकैत ही हैं जो देश में जगह जगह घूम कर मिले हुए इस मौके को भुना रहे थे।
सिंधु बॉर्डर पर इस घटना से पहले उत्तरप्रदेश के लखीमपुर में एक घटना हुई थी जिसमें लगभग 8 व्यक्तियों को मौत हुई थी और उस घटना पर भी काफी हंगामा हुआ था। वहां मारे गए उन चार तथाकथित किसानों के साथ साथ चार अन्य लोग भी थे, ये पूरे 8 व्यक्ति चाहे जो कोई हो, चाहे ये भाजपा के कार्यकर्ता हो या फिर किसानों के वेश में मंडियों के दलाल या फिर कांग्रेस के कार्यकर्ता या फिर ये चाहे वहां के स्थानीय निवासी क्यों न हो?? वहां मौत तो टोटल आठ लोगो कि हुई थी ना?? फिर क्यों मीडिया और देश में हर जगह केवल 4 मौत की बात होती रही ?? क्यों पंजाब के अभिनेता सोशल मीडिया पर इस मौके को भी भुनाने में लगे रहे??
उनको किसने मारा?? 
जब तक ये आंदोलन चलेगा न तब तक लोग ऐसे ही मरते रहेंगे और ये राजनेतिक गिद्ध इन मृतकों को लाश पर भी राजनीति करेंगे एवं इसका प्रमाण अभी आप कुछ दिनो पहले ही देख चुके हैं।
लखीमपुर की घटना में मीडिया के कुछ विशेष पत्रकार जो किसी समय पर देश के प्रधानमंत्री के साथ उनके निजी विमान में उनके साथ विदेशी दौरों पर जाया करते थे और आज केवल यूट्यूब जिस मध्यम तक ही सीमित रह गए हैं, इन लोगो ने इस घटना को इस तरीके से जनता के सामने पेश किया की चार तो इस घटना में पीड़ित लगे और बाकी के चार आरोपी लगे?? 
ये सारा खेल क्या था?? क्यों पूरे मीडिया में केवल एक वीडियो जोर शोर से चलाया जा रहा था जिस वीडियो में केवल 28 सेकंड तक का हिस्सा तो दिखा रहे थे और वीडियो के केवल उसी हिस्से को दिखाकर बहुत ही आराम से आम जनता के दिमाग में ये बैठाने में लगे रहे की गलती केवल एक पक्ष की हैं??
क्यों किसी आंदोलन में हथियारों की जरूरत पड़ी?? इस तथाकथित किसान आंदोलन में आधे से ज्यादा लोगो धारदार हथियारों से लैस हैं। किसान आंदोलन के वायरल हुए काफी वीडियो में ये बात साफ साफ देखी जा सकती हैं कि तलवारे रखना तो आम बात हैं इस आंदोलन में?? इन हथियारों को रखने को अनुमति किसने दी इन्हे?? lakhimpur case details in hindi
जो विपक्ष लखीमपुर की घटना के बाद वहां जाने के लिए पागल हो गया था, कभी कोई नेता वहां जाने को उतावला हो रहा था तो कभी कोई परंतु अब जब दिल्ली के बॉर्डर पर जहां इन  तथाकथित किसानों  और विपक्ष का मुख्य अड्डा हैं वहां पर जब एक हत्या की घटना हुई तो सारे विपक्षी बिलों में जाके दुबक चुके हैं।
आखिर क्यों दिल्ली के बॉर्डर पर किसका आंदोलन के मुख्य मंच के पास ऐसी वीभत्स घटना हुई?? 
सिक्ख धर्म और पंजाब से जुड़े काफी लोग इस आंदोलन में सम्मिलित हैं। इस किसका आंदोलन के 95% लोग तो केवल हरियाणा और पंजाब से हैं और इसका भी एक अलग गणित हैं वो अगर आप लोग चाहेंगे किसी और लेख में उस मुद्दे पर बात करेंगे।

What Is The Reason Behind Muder In Sindhu Border Delhi

गुरु ग्रंथ साहिब सिक्ख धर्म का मुख्य केंद्र हैं। सिक्ख धर्म में इसकी बहुत इज्जत हैं और इस धार्मिक ग्रंथ का महत्व बहुत ज्यादा हैं। गुरु ग्रंथ साहिब सिक्ख धर्म को मार्ग दिखाता हैं परंतु यह धार्मिक ग्रंथ तो केवल मानवता और राष्ट्र सुरक्षा एवं प्राणिमात्र की सेवा का रास्ता दिखलाता हैं न कि अपराध का।

वह युवक भी इसी आंदोलन में सम्मिलित था। इस किसान आंदोलन ने अब तक काफी लोगो की जान ले ली हैं चाहे वे इसमें शामिल होने वाले लोग हो या कोई और। Nihang Kon Hain??

निहंग किसी समय पर गुरु गोविंद सिंह जी के सेना का मुख्य आकर्षण हुआ करते थे। इतिहास में लिखा हुआ हैं की महाराजा रणजीत जी के शौर्य, यश और प्रताप में भी इस निहंग सेना का मुख्य योगदान रहा था। 
निहंगों ने मातृभूमि के लिए काफी कुछ किया हैं परंतु अब ये लोग ऐसी हरकतें कर के लोगो के मन में जो निहंगो ओर सिक्ख धर्म प्रति सम्मान है उसको खोने में लगे हैं। 
में खुद ये मानता हूं को इस किसान आंदोलन से सारे के सारे सरदार भी सहमत नही हैं। 
कुछ चंद लोग इस धर्म के ठेकेदार बन बैठे हैं अब परंतु बाकी लोगो के मौन रहने से गलत ज्यादा गलत होता जा रहा हैं।
अगर हर धर्म से जुड़े लोग धर्म के नाम पर ऐसे ही करने लगे तो संसार में केवल कब्रिस्तान और शमशान बचेंगे। 
इस्लाम धर्म से जुड़े लोग ऐसी घटनाए करते थे ये पूरी दुनिया जानती हैं परंतु अब ये सिक्ख धर्म से जुड़े लोग भी ऐसी वीभत्स घटना को अंजाम देने लगे और पूरे कुकृत्या को धार्मिक बचाव का चौला पहना दिया।
जो इन लोगो ने किया और उसके बाद भी लोग चुप बैठे हैं अगर यही घटना भागवत गीता को लेकर हिंदू धर्म के लोग कर देते ना तो अब तक देश का संविधान खतरे में आ जाता, लोग देश में असुरक्षित महसूस करने लगते और भी पता नही क्या से क्या होने लगता, परंतु ऐसी वीभत्स घटना पर भी लोगो को चुप्पी इस बात को दर्शाती हैं को अब लोग मौन रहना ही पसंद करते हैं इन्हें कोई फर्क नही पड़ता की गलत हो रहा हैं या सही।
इस देश में अगर किसी धर्म और उसके अनुयायियों का अपमान होता हैं वो सबसे ज्यादा हिंदू धर्म का ही होता हैं। 
जिस किसी को देखे आजकल स्टार बनने के लिए और लाइमलाइट में आने के लिए हिंदू धर्म को लक्ष्य कर के अनाप शनाप बकने लग जाते हैं और लोग फिर भी कुछ नही बोलते।
जब हम जैसे लोग ऐसी घटनाओं का विरोध करते हैं तो कुछ दोगले लोग हमे ज्ञान देने लग जाते हैं की ये मत करो, वो मत करो।
भाई तुम अंधे हो तो क्या हम भी अंधे हो के बैठे रहे?? 
हम बस इन निहंगो की तरह किसी को हत्या नही करते क्योंकि ये हमारे धर्म ने हमे सिखाया नही।

फिर भी अगर हद ही पार हो जायेगी तो जैसे इस घटना पर बहरे और अंधे बन के बैठे हो वैसे ही उस समय पर बैठे रहना। Why They Target Only Hinduism??

देश का अपमान कर के लोग अपने आप को आधुनिक और सेकुलर सोच का दर्शाने के प्रयास करते हैं ताकि इनके आका इनकों पहचान ले और इनको गुलामी करने की इनकी कीमत समय पर मिलती रहे।
क्या वो युवक किसी और धर्म का था?? नही ना?? था तो वो हुई सिक्ख धर्म का पालन करने वाला ही न फिर उसको क्यों ये सजा मिली?? क्या उसके बच्चे सिक्ख धर्म और निहंगो को कभी सम्मान की दृष्टि से देख पाएंगे??
लखीमपुर की घटना में हमने देखा की लोगो मे अब मानवता नही बची हैं। आजकल जमाना इस स्तर पर जा चुका हैं की अगर कोई इंसान अपनी आखिरी सांस ले रहा हो और वो वहां खड़ी भीड़ से पानी भी मांग ले तो उसको लोग पानी नही पिलाएंगे।
उस युवक की हत्या को बहुत ही क्रूर तरीके से अंजाम दिया गया,पहले उसके हाथ पैर शरीर से काटकर अलग कर दिए उसके बाद उसे मार कर उसके शव को वहां लगे बेरिकेड पर लटका दिया?? आखिर ये साबित क्या करना चाहते थे?? इस घटना की जड़ तक जाना अब अनिवार्य हो चुका हैं और मात्र यही घटना नही लखीमपुर की घटना भी पूर्णनियोजित तरीके से सम्पन की गई ऐसा मुझे लगता हैं उस घटना से संबधित सारे विडीयो देखने के बाद में।
इन लोगो की मानसिकता कितनी ज्यादा क्रूर और वीभत्स हैं आप ये इन दोनो घटनाओं के बारे में पूरा विश्लेषण कर के जान सकते हैं।
इस घटना से पहले भी निहंग ऐसी काफी सारी आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाए जा चुके हैं। कुछ महीनो पहले पंजाब में एक पुलिस ऑफिसर का हाथ भी किसी निहंग ने काट दिया था। नशे के कारोबार से ये लोग जुड़े हुए हैं इसका सबूत समय समय पर मिलते रहे हैं में ये नही कहता हूं कि हर एक निहंग इस गोरख धंधे से जुड़ा हुआ हैं परंतु उनका एक बहुत बड़ा हिस्सा इससे जुड़ा हुआ हैं ।
हत्या जेसी घटना को धर्म की आड़ में करना बहुत ही गलत काम हैं, परंतु हमारे देश में इस तरीके की घटनाएं बहुत पहले से होती आ रही हैं चाहे वह कश्मीर से हिंदुओ का पलायन हो या फिर देश के अन्य हिस्सों से हिंदुओ को भगाने की बात हो, इस देश की मीडिया हमेशा हिंदुओ के मुद्दे पर चुप रही है। हिंदू इस देश में बहुसंख्यक होकर भी उड़ आदर सामान से आज तक वंचित है जो इन्हे मिलना चाहिए था।।
आबो हवा अब बदल रही हैं
जमाना भी बदलने में लगा हैं।
किसान आंदोलन से जुड़े लोग इस मुद्दे पर ऐसे चुप्पी साध कर बैठे हैं जैसे की मयत्त में आए हुए लोग।
जब लखीमपुर में 8 लोग मरे तब चार लोगो को विक्टिम और बाकी चार को अपराधी बताकर बहुत हंगामा किया परंतु अब जब इनके साथी ही अपराधी हैं तो सारे इस बात को दबाने के लिए जोर लगाने में लगे हुए हैं।
अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं की हत्या करने के बाद भी धमकी दे रहे हैं। 
प्रशासन को अब इस आंदोलन पर सही निर्णय लेना होगा नही तो ये देश की आम जनता के गले की घंटी बनता जायेगा।
Why The people behind farmer’s protest are Silent on This Murder
जिनको अपनी राजनीति चमकानी हैं वो इस आंदोलन और हिंदू धर्म को लक्ष्य कर के अपना काम करते रहेंगे और आम जनता मूर्ख बनती रहेगी।
इतने महीनो से देश के कुछ मुख्य रास्तों पर अतिक्रमण कर के बैठे हैं परंतु फिर भी देश की आम जनता अब तक संयम धर के बैठी हुई हैं। 
लोग अब कायर हो चुके हैं जब तक खुद के घर तक बात नही आती तब तक आज के समय में लोग किसी सामाजिक मुद्दे पर आवाज उठाना पसंद नही करते।
धर्म को आड़ बना कर लोगो को मारना कहां तक न्यायसंगत हैं और ये मैं हर एक धर्म के बारे में कह रहा हूं, आजकल लोग बिना धार्मिक ज्ञान रखे ही धर्म गुरु बन बैठे हैं जिसके कारण देश को ये नुकसान झेलना पड़ता हैं। किसी भी धर्म में कुच चंद लोग उस धर्म के एकमात्र ठेकेदार बन कर उभरते हैं जैसे की उस धर्म पर केवल उनका ही खानदानी हक हो।
जब तक देश में आम जनता अपने धर्म के बारे में खुद से विस्तार से नही जानेगी, तब तक देश में ऐसी घटनाए होती रहेगी। 

मानवता ही सबसे बड़ा धर्म हैं कोई इंसान किसी व्यक्ति को मार केसे सकता हैं की उसने अपमान किया, जिसका भी कोई प्रयाप्त सबूत नहीं हैं उनके पास, अगर उसकी हत्या करते वक्त का वीडियो हो सकता हैं तो उसने गुरु ग्रंथ साहिब का अनादर कब किया इसका भी वीडियो होना चाहिए था प्रयाप्त सबूत के लिए, परंतु फिर भी किसी की हत्या करना शोभनीय काम नही हैं। 
भारत में आज के समय में लोग किसी भी मुद्दे पर बोलने से बचते हैं। इन्हे ये डर रहता हैं की अगर मेने ऐसा वैसा कुछ बोल दिया तो दूसरे समुदाय वाले लोग मुझे और मेरे परिवार को जान से मार डालेंगे और ये हमने देखा भी हैं बंगाल में और वर्तमान में कश्मीर में फिर से वही आतंकी घटनाएं शुरू हो गई हैं। 
इन आतंकियों और आतंकी सोच वाले देश के अंदर बैठे देशद्रोहियों को सजा देनी होगी, इनको चुन चुन कर इनका इलाज करना अब जरूरी हो चुका हैं नही तो आने वाले समय में ये बिमारी लाइलाज होने वाली हैं।
जय हिंद जय भारत
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