Swami Ramdev vs IMA/Hindi/Swami Ramdev Defamation Notice/Patanjali Aayurved

पिछले कुछ दिनों से भारत में स्वामी रामदेव और एलोपैथी के बीच में तकरार की स्थिति बनी हुई है जिसमें अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। स्वामी रामदेव पर आई एम ए द्वारा आरोप लगाया जा रहा है इन्होंने एलोपैथी चिकित्सा पद्धति का अपमान किया है इस पूरे मामले को जानने से पहले हम बाबा रामदेव के बारे में आपको थोड़ा सा बताते हैं उसके बाद इस बात पर बात करेंगे की बाबा रामदेव और एलोपैथि विवाद क्या है?? 

Who Is Swami Ramdev??

स्वामी रामदेव का जन्म हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के सैयदपुर गांव में  रामनिवास यादव और गुलाबो देवी के घर में 1965 में हुआ था।

बाबा रामदेव बचपन से ही योग की ओर आशक्त थे। योग में इनका ध्यान बाल्यकाल से ही था  इनकी शिक्षा और योग के प्रति इनके समर्पण का ही परिणाम है कि पतंजलि आयुर्वेद आज विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार है। 
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 पतंजलि आयुर्वेद को बाबा रामदेव ने अपने एक साथी आचार्य बालकृष्ण के साथ मिलकर शुरू किया था। शुरुआत में बाबा रामदेव साइकिल पर गांव गांव घूम कर हाथो से बनाए आयुर्वेदिक उत्पाद बेचते थे। इनकी योग और सन्यास के पीछे आने का भी एक कारण है, बाबा रामदेव ने किसी साक्षात्कार में खुद बताया था कि उनको ढाई साल की उम्र में लकवे की बीमारी हो गई थी जिसके कारण वह खुद से कार्य करने में असमर्थ थे। जिसके बाद निरंतर योग करने के कारण बाबा रामदेव ने लकवे से मुक्ति पाई।

Swami Ramdev Yoga Or Sanyas Me Kyo Aaye??

 सत्यार्थ प्रकाश नामक एक किताब है जो स्वामी दयानंद सरस्वती ने लिखी हुई हैं। स्वामी दयानंद सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक थे। सत्यार्थ प्रकाश किताब को जब स्वामी रामदेव ने अपने बाल्यकाल में पढ़ा तो इस किताब का इनके ऊपर बहुत प्रभाव पड़ा, उनका मन इस किताब को पढ़ने के बाद से सन्यास और योग की तरफ ज्यादा झुक गया था। बाबा रामदेव ने फिर साधुओं से शिक्षा लेना प्रारंभ किया इन्होंने कई गुरुकुलो में जाकर आचार्यों से शिक्षा प्राप्त की और योग के अंदर दक्षता हासिल की।
 बाबा रामदेव ने योग के बड़े-बड़े कैंप लगाना 2002 से ही शुरू कर दिए थे। बाबा रामदेव ने पतंजलि आयुर्वेद के अंतर्गत योग ग्राम की स्थापना हरिद्वार में की थी।
बाबा रामदेव ने महर्षि पतंजलि, जो योग के जनक माने जाते हैं उन से प्रभावित होकर अपनी कंपनी का नाम पतंजलि आयुर्वेद रखा था। पतंजलि आयुर्वेद की शुरुआत पतंजलि चवनप्राश से हुई थी जो स्वामी रामदेव अपने साथी स्वामी आचार्य बालकृष्ण के साथ गांव गांव जाकर साइकिल पर बेचा करते थे।
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 स्वामी रामदेव ने पतंजलि आयुर्वेद में Consumer Packaged Goods  की सुविधा प्रदान करना शुरू किया। पिछले साल कोरोना महामारी के आने पर पतंजलि आयुर्वेद ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाई  कोरोनिल भी बनाई थी। 
इस दवाई को लेकर बाद में कई विवाद भी हुए थे। 

Swami Ramdev vs IMA

बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन IMA के बीच चल रहे ताजा विवाद का कारण है, बाबा रामदेव का एक बयान जिसमें उन्होंने एलोपैथी के बारे में कहा था की Allopathy को आजकल  एक लूटने का साधन बना रखा है। इलाज के नाम  पर मरीजों से हद से ज्यादा पैसे  वसूले जा रहे हैं। Allopathy से मरीजों  को फायदा भी कम मिल रहा है।
Yoga Guru Swami Ramdev ने कहा था की भारत में अधिकांश कोरोना के मरीज आयुर्वेद से सही हुए हैं, इसी मुख्य बयान के ऊपर IMA ने आपत्ति जताई थी और बाद में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बाबा रामदेव के ऊपर मानहानि का केस दायर किया था।
 कुछ दिन पहले  स्वामी रामदेव ने जब मीडिया में अपनी गिरफ्तारी को लेकर एक बयान दिया की  “गिरफ्तार तो मुझे वो तो क्या उनका बाप भी नहीं कर सकता” ये बयान देते ही स्वामी रामदेव फिर एक बार से विवादित स्थिति में आ गए।
आई एम ए ने बाबा रामदेव को Defamation Notice भेजा था, अब इसके ऊपर न्यायालय में मुकदमा चल रहा है। वर्तमान में नेशनल मीडिया में रोज इस मुद्दे के ऊपर बहस हो रही है देश में एक धड़ा बाबा रामदेव के साथ है तो दूसरा धड़ा आईएमए के साथ है बाबा रामदेव ने आयुर्वेद का हमेशा से ही समर्थन किया है।
वामपंथियों और विपक्ष का एक गुट स्वामी रामदेव को घेरने में लगा हुआ है, क्योंकि इनका तो काम ही यही है कि किसी ना किसी तरीके से भाजपा सरकार को नीचा दिखाना।
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 बाबा रामदेव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी हैं और 1 तरीके से हमारी वैदिक संस्कृति का प्रचार भी पतंजलि आयुर्वेद के माध्यम से कर रहे हैं जिससे इन वामपंथियों और मिशनरियों वालों को दिक्कत हो गई।

Swami Ramdev Ka Virod Ka MAin Reason Kya Hain??

 यह सारे के सारे एक साथ इकट्ठे होकर स्वामी रामदेव को घेरने में लगे हुए हैं परंतु आजकल सोशल मीडिया होने के कारण आम आदमी भी अपना विचार किसी भी मुद्दे पर रख सकता है।  इससे जो आंकड़े निकल कर सामने आ रहे हैं उससे तो विपक्षी और वामपंथियों का ये गुट नाराज ही हो सकता है। भारत के अधिकांश लोग बाबा रामदेव के समर्थन में है। पतंजलि आयुर्वेद ने भारत में विदेशी कंपनियों को एक तरीके से धूल चटाने का काम किया है। जो कंपनियां विज्ञापनों में झूठे दावे कर कर के भारत की आम जनता को थ थी विश्व के सबसे बड़े बाजार में पतंजलि आयुर्वेद में अपने उत्पादों की गुणवत्ता के दम पर यह मुकाम हासिल किया है। 

इन्होंने प्रकृति से निर्मित आयुर्वेद विज्ञान के आधार पर बने उत्पादों का बाजार में प्रचलन बढ़ाया और आज Patanjali Aayurved भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार है पतंजलि आयुर्वेद दवा कॉस्मेटिक आदि क्षेत्रों में सक्रिय है पतंजलि आयुर्वेद एलोपैथी को कड़ी टक्कर दी है और उसी का परिणाम ये हैं कि आज स्वामी रामदेव का विरोध करके यह लोग उन्हे नीचा दिखाना चाह रहे हैं।

यह मामला सीधा आयुर्वेद विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के बीच है स्वामी रामदेव के साथ और भी कई आयुर्वेदिक वैद्य आ चुके हैं। जो स्वामी रामदेव का समर्थन कर रहे हैं।
 सनातन धर्म के पुरातन ग्रंथों में आयुर्वेद की बहुत सी चिकित्सा पद्धतियों का हस्तलिखित वर्णन है जिनके ऊपर आज तक विदेशों में भी रिसर्च हो रही है परंतु भारत में वामपंथी इसको होने नहीं देना चाहते क्योंकि अगर यह हो जाता है तो यह साबित हो जाएगा कि सनातन धर्म सबसे उन्नत और सबसे ज्ञानवान सभ्यता हैं।

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बाबा रामदेव से हुए ताजा विवाद के बाद में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन IMA के कई और मामले सामने आ रहे हैं। इनकी अवांछित गतिविधियों का खुलासा हो रहाहैं।
हम में से अधिकांश लोग यह जानते हैं कि एलोपैथी चिकित्सा पद्धति में कुछ निजी अस्पतालों में मरीजों को लूटा Jata Hain.
 किसी की अगर जान भी चली जाती है तो भी उसकी लाश को बिना पैसा मिले छोड़ा नहीं जाता। कई गरीबों ने अस्पतालों की बिल चुकाने के चक्कर में अपने प्राणों से भी हाथ धोया और यह आज से नहीं हजारों सालों से चला आ रहा है। चिकित्सा संस्थानों की विधवंशता का रूप कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा देखने को मिला है। 
मेडिकल माफिया ने लाखों गरीब लोगों को अपना शिकार बनाया है। अवैध रूप से अंग निकालने के धंधे को कोरोना की दूसरी नहर में लहर में चार चांद लग गए थे। स्वामी रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बीच हुए ताजा विवाद के बाद में अधिकांश लोगों को पता चला है कि आईएमए कोई सरकारी संगठन नहीं है, जबकि एक निजी एनजीओ मात्र है। इस विवाद के बाद में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के कुछ राज परत दर परत खुलते जा रहे हैं।

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भारत में अधिकांश लोग स्वामी रामदेव के समर्थन में आ चुके हैं और इसका एक कारण आयुर्वेद के द्वारा भारत के अंदर हजारों सालों से भयंकर से भयंकर रोगों से मरीजों को मुक्ति मिलना है। एलोपैथी चिकित्सा पद्धति का भारत में अस्तित्व भी नहीं था उस समय में आयुर्वेद में चरक संहिता और सुश्रुत संहिता के ऊपर रिसर्च करके वैद्य बने हजारों चिकित्सकों ने मरीजों का इलाज किया था जटिल से जटिल बीमारियों का आयुर्वेद में कम से कम पैसे में इलाज किया जा सकता है। 
स्वामी रामदेव पतंजलि आयुर्वेद के द्वारा व्यापार का अधिकांश हिस्सा दान करते हैं इनके द्वारा कई अनाथालय चलाए जाते हैं।
 वामपंथियों का स्वामी रामदेव और आयुर्वेद का विरोध करना एक सोची-समझी रणनीति है। जैसा कि हम सब जानते हैं, बाबा रामदेव प्रधानमंत्री मोदी के करीबी और बहुत बड़े प्रशंसक हैं और यह हमने कई न्यूज़ चैनल में हुए वाद विवाद मैं भी देखा है और बाबा रामदेव खुलेआम यह समर्थन करते रहते हैं। 
वामपंथियों का स्वामी रामदेव का विरोध करना एक तरीके से केंद्र की भाजपा सरकार को चुनौती देना है।
सनातनी इंडियन परिवार इस समय के ऊपर पतंजलि आयुर्वेद और स्वामी रामदेव का समर्थन करता है आप भी अपना समर्थन हमें कमेंट में बताइए।
 धन्यवाद 🙏🙏

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