SANATAN DHARMA को मानने वालों का मानना हैं की अगर सनातन धर्म में इतने सारे मंत्र सभी भगवान के लिए हैं तो इन सब मे सबसे अधिक शक्तिशाली मंत्र कौनसा हैं। इतने सारे मंत्रों मे वो कौनसा मंत्र हैं जिसके पाठ अगर नियमपूर्वक सही से किए जाए तो परिणाम सुखद ओर जल्दी मिले। हमारे सनातन धर्म के ग्रंथ ओर वेद पुरानो मे मंत्रों के महत्व ओर अपने ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति ओर समर्पण को व्यक्त करने के लिए मंत्रों का रास्ता ही सुझाया गया हैं।
इतने सारे मंत्र सनातन धर्म मे हैं परंतु एक मंत्र एसा हैं जिसके बिना कोई भी मंत्र पूर्ण नहीं होता हैं । https://youtu.be/SU-PWUpFPM8
ॐ मंत्र
हर मंत्र के साथ मे ॐ जरूर होता हैं सनातन धर्म मे बिना ॐ के सामंजस्य के किसी भी मंत्र का पूर्ण होना संभव ही नहीं हैं। ॐ एक सिद्ध मंत्र हैं , अपने आप मे मात्र ॐ के उचारण से भी भगवान की प्राप्ति हो जाती हैं ओर पूर्व मे भी काफी साधुओ ने इसी मंत्र के प्रभाव से अपनी तपस्या पूरी की ओर अपने इस्टदेव के चरणों की सेवा मे समा गए ।

ॐ मंत्र हर मंत्र के शुरुआत मे आता हैं ओर कुछ मंत्र तो एशे होते हैं जिनमे ॐ मंत्र का उचारण एक से अधिक बार आता हैं, चाहे वह गायत्री मंत्र हो या फिर भगवान विष्णु का मंत्र हो, हर मंत्र मे ॐ का समावेश जरूर होता हैं।
ॐ” यह एक प्राचीन और पवित्र मंत्र है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मंत्र विभिन्न धार्मिक और ध्यानिक प्रथाओं में प्रयोग किया जाता है, जैसे कि ध्यान, प्राणायाम, जप, आराधना, आदि। यह वेदांतिक धारणाओं के अनुसार परमात्मा का प्रतीक माना जाता है।
“ॐ” का प्रयोग मन, शरीर और आत्मा के त्रिमार्गिक एवं त्रिकालिक उन्नति की दिशा में होता है। इस मंत्र का उच्चारण ध्यान को शांति और स्थिरता की अवस्था में ले जाता है। यह मन को शुद्ध, शांत और आत्मनिर्भर बनाने की अनुभूति प्रदान करता है।
यहाँ “ॐ” के बारे में विस्तार से जानकारी है:
- अर्थ: “ॐ” शब्द का अर्थ है “परमात्मा” या “ब्रह्म”. इसे “ॐकार” भी कहा जाता है।
- तत्त्वज्ञान: “ॐ” मंत्र के तीन तत्त्व होते हैं – अ, उ, और म। ये तीनों तत्त्व ब्रह्म, विष्णु और शिव को प्रतिपादित करते हैं।
- ध्वनि और शक्ति: “ॐ” का ध्वनि करते समय, संसार की सभी शक्तियों को प्राप्त किया जा सकता है। इसे अपने शरीर, मन, और आत्मा को प्राणित करने का माध्यम माना जाता है।
- उपयोग: यह ध्यान, धारणा, और जप के लिए अद्वितीय माना जाता है। इसका नियमित जप करने से मन की शांति, आत्मा की उन्नति और आत्मबोध होता है।
- ध्यान एवं मन्त्रोपदेश: “ॐ” को ध्यान करते समय मन को एकाग्र किया जाता है और ध्यान में स्थिरता प्राप्त होती है। इसे मन्त्र जाप के रूप में उच्चारित किया जाता है, जो आत्मिक उन्नति के लिए प्रभावी होता है।
“ॐ” मंत्र का अध्ययन और उपयोग सनातन धर्म की धार्मिक परंपरा में एक महत्वपूर्ण भाग है।
जिस प्रकार श्वास के बिना इंसान का जीना संभव नहीं हैं वेसे ही बिना ॐ मंत्र के सनातन धर्म का कोई भी मंत्र पूर्ण नहीं होता हैं।
हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन से मुख्य तथ्य यही निकाल कर आता हैं जो सच भी हैं की ॐ ही वह निराकार शक्ति हैं जिससे सभी देवी देवता किसी न किसी तरह से जुड़े हुए हैं , कुछ लोग इसे योगमाया के नाम से भी जानते हैं तो कुछ लोग केवल माय भी कहते हैं परंतु यही वह एकमात्र शक्ति हैं जो भगवान विष्णु , भगवान शिव, एवं ब्रह्म जी को भी खुद से जोड़ रखा हैं ।

सनातन धर्म में बाकी ओर भी मंत्र हैं परंतु कोई भी मंत्र बिना इस अचूक ओर सिद्ध मंत्र से ऊपर नहीं हैं। योग भी बिना ॐ के पूर्ण नहीं होता हैं आज के समय मे जो योग को एक फैशन की तरह बना दिया हैं जबकि वास्तविकता मे बिना ॐ के योग क्रियाएं भी पूर्ण नहीं होती हैं।
सनातन धर्म के बारे मे ओर जानकारियों के लिए हमसे जुड़े रहे यहाँ आपको सनातन धर्म से संबंधित जानकारी बिल्कुल शत प्रतिशत केवल सच ही आपको प्रस्तुत किया जाएगा।
जी श्री राम ।