राजनीति ओर राजनेता

राजनीति ओर राजनेता ये दो एसे शब्द हैं जो लगभग भारत के हर एक बच्चे – बच्चे को पता हैं, वास्तव में इन दोनो शब्दो का भावार्थ क्या है??  विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक ओर कठिनतम भाषा हिन्दी मे इसका अर्थ समझते हैं।

राजनीति – हिंदी भाषा के दो शब्दो से मिलकर बना ये शब्द “राजनीति”  इसका बहुत ही गूढ़ अर्थ है, राज से मतलब है राजा ओर लोकतंत्र मे इसका मतलब है प्रजा”
राजा कभी भी प्रजा से अलग नहीं हो सकता है, ओर इसमें सम्मिलित दूसरा शब्द हैं “नीति”  इस शब्द के कई मतलब होते हैं जेसे की नीति मतलब नियति भी होता है तो इसका मतलब कार्य करने का तरीका भी होता है या फिर इसे राज्य को चलाने के लिए राजा द्वारा काम में लिए जाने वाले विधियों से भी हैं।
राजनीति एक शब्द ही नहीं है बल्कि एक ही शब्द मे छूपे हजारों अर्थ भी हैं।
 राजनेता – ये शब्द भी हिंदी भाषा से ही लिया गया है ओर इसका वास्तविक मतलब हैं राज अर्थात् प्रजा के वो सम्मानित लोग जो अपने – अपने क्षेत्र की जनता को लोकतंत्र में राजा के समक्ष प्रस्तुत करते हैं।
परन्तु आज के समय में हालात ये है कि अधिकांश राजनेता अपने वास्तविक कार्य ओर नीतियों को भूलकर केवल अपने स्वार्थ साधने में लगे रहते हैं बिल्कुल वैसे ही जेसे मादा बिच्छू जब अपने बच्चो को जन्म देती है तो वो उन्हें अपनी पीठ पर आश्रय देकर उनका पालन पोषण करती हैं परन्तु बिच्छू के बच्चे अपनी मां के शरीर से अपनी भूख तब तक मिटाते है जब तक मादा बिच्छू की मृत्यु ना हों जाए।
आज के समय में जनता वो मादा बिच्छू हैं ओर ये राजनेता बिच्छू के बच्चे जो मासूम जनता को तब तक लूटते है जब तक उनकी ज़िंदगी ख़तम ना हो जाए। केवल अपना घर भरने में व्यस्त रहने वाले ये नेता जब तक जनता को लूटते हैं कि बेचार जनता अंत में अपना जीवन हीं खो बैठती है।
वर्तमान समय मे राजनीति ओर राजनेताओं का स्तर इतना ज्यादा गिर चुका है कि अगर इसके बारे में बयान भी किया जाए तो शब्द भी कम पड़ जाएंगे परन्तु इनकी दलाली ओर स्वार्थी राजनीति के बारे में फिर भी विस्तृत रूप से नहीं बताया जा पाएगा, अगर 100 में से कोई एक राजनेता एसा भी आ गया जों पहले आम प्रजा के बारे में सोचे ओर फिर अपने बारे में तो बाकी के 99 उस पर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू कर देंगे क्योंकि वो लोग जानते है कि ये एक आदमी भी अगर अपना काम पूरी ईमानदारी से कर गया तो उन बाक़ी 99 की राजनीति खत्म हो जाएगी।
भारत में राजनीति का स्तर इतना ज्यादा गिर चुका है कि लगभग नेताओ पर आम जनता विश्वास करना नहीं चाहती हैं क्योंकि उनकी हरकते ही ऐसी है ओर आजकल तो एक नया एजेंडा चलाया जा रहा है कि अगर जनता के हित मे कोई फैसला अगर राजा मतलब सरकार ने लिया भी हैं तो ये बिच्छू के बच्चे राजनेता के रूप में जो इस देश की हर एक गली मोहल्ले में विद्यमान हैं वो इस मासूम जनता को इस तरह भड़का देंगे की वो खुद के भले ओर नुकसान के बारे में भी नहीं सोच पाते हैं।
में केवल आज की राजनीति के बारे में ही नहीं कह रहा बल्कि आज़ादी से पहले ओर आज़ादी से अब तक की राजनीति का जिक्र भी कर रहा हूं कि केसे कुछ चंद लोगो के सत्ता लोभ के कारण एक अखंड देश को दो हिस्से में बांट दिया गया ताकि वो दो उन नए बने देशों के प्रधानमंत्री बन सके, पाकिस्तान में तो जिन्ना के परिवार की राजनीति काफी दशक पहले लगभग खत्म हो चुकी परंतु भारत में नेहरू के परिवार के लोग आज भी निरंतर जनता को मूर्ख बनाते रहते हैं।
केसे सत्ता लोभ के कारण एक मुस्लिम से शादी करने के बाद भी गांधी के नाम पर वोट कमाने के लिए अपनी बेटी को अपने परिवार या उसके परिवार का नाम ना देकर गांधी का नाम दिया ताकि जनता को निरंतर मूर्ख बनाया जा सके ओर इन सत्ता लोभियों की राजनीति की दुकान चलती रहे।
पूरे गांधी परिवार में संजय गांधी एकमात्र एसा इंसान रहा है जिसने खुद के निजी फायदे का ना सोचते हुए पहले जनता के बारे में सोचा, उस युवा संजय गांधी का राजनीति का तरीका परंपरागत राजनीति से अलग था ओर इसका आभाष उसकी माता इंदिरा गांधी को हो गया था। 
ये वही गांधी परिवार का सदस्य हैं जिसने गलत होते देखकर अपनी माता इंदिरा गांधी तक तो थप्पड़ मार दिया था पर उसे क्या पता था कि ये कलियुग है ओर इस कलियुग में स्वार्थ सबके ऊपर हावी होता है ओर यही थप्पड़ एक दिन उसकी रहस्यमई मौत का कारण बन जाएगा।
जो इंसान एक प्रशिक्षित पायलट था जो लगभग रोज विमानों से आसमान में अटखेलियां करता था, अचानक एक दिन उसके सबसे करीबी सहयोगी के साथ उसकी विमान दुर्घटना में ही रहस्यमई तरीके से मौत हो जाती है, क्यो आज तक उस विमान मे बताए गए तकनीकी गलती के बारे में जांच नहीं हुई?? एसा उस विमान के साथ क्या किया गया था कि एक अभ्यस्त पायलट भी कुछ ही क्षणों में अपने सबसे बड़े शोक के साथ जीवन छोड़ कर चला गया।
इस देश की जनता इतनी मासूम ओर भोली है कि जल्दी से इन स्वार्थी राजनेताओं की बातो मे आ जाती है। अगर इस सत्तालोभी परिवार के बारे में लिखना शुरू करू तो कई पुस्तकें लिखी जाएगी परन्तु इनकी कारस्तानियां फिर भी पूर्ण रूप से बखान नहीं हो पाएगी।
भारत की राजनीति में केवल ये एक परिवार ही नहीं है जिसे सत्ता का इतना लोभ हो इनके जेसे ही कई राजनीतिक परिवार ओर हैं को लगभग भारत के हर एक हिस्से में मौजूद हैं।
उत्तर से दक्षिण ओर पूर्व से पश्चिम तक परिवारवाद की राजनीति पिछले 7 दशक से हावी रही है।
मुलायम परिवार, लालू परिवार, अब्दुला परिवार,  बाकी भी इतने हैं की कितनो के बारे में लिखा जाए।
परिवारवाद की राजनीति से ऊपर उठकर जनता को अब देशहित मे फैसले लेने खुद से सीखने चाहिए अगर आप इन स्वार्थी नेताओ के वसीभूत रहोगे तो अपना सर्वस्व गंवा दोगे।
आज कुछ लोग कहते हैं कि भारत की सत्ता आरएसएस के हाथ में हैं??
क्यो भाई किसने आरएसएस को सत्ता को हाथ से पकड़े हुए देखा है आप ये कह सकते हैं को जो सत्ता के शीर्ष में हैं वो आरएसएस की विचारधारा से जुड़े हुए हैं आप ये नहीं कह सकते हैं कि सत्ता आरएसएस चला रही है क्योंकि वो एक संगठन हैं ना कि राजनैतिक पार्टी।
देश में आजकल माहौल बना हुआ है कि अगर सरकार ने देशहित या जनता के हित में कोई फैसला लेने का प्रयास भी किया तो ये परिवारवाद ओर दलगत ओर सत्तालोभी राजनेताओं की सड़को पर या तो खुद उतरने की या फिर पैसे देकर किराए के लोगो को बैठाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। जनता जागरूक हो चुकी है ओर इन सत्ता के लालची लोगो के मंसूबों को अच्छे से जान जाती है। आज से 10 साल पहले तक भारत की जनता का एक बहुत बड़ा तबका साक्षर नहीं था तो इन सत्ता के दलालों की दुकान चल जाती थी, परन्तु जैसा की आप आजकल खुद अपनी आंखो से देखते है कि केसे इस आधुनिक युग में इस देश मे चाहे हर एक इंसान साक्षर नहीं हो परन्तु फिर भी वो मोबाइल का उपयोग करना जनता हैं,  अपने ज्ञान को निरंतर बढ़ना ही हम भारतीयों की हमेशा से फितरत रही है ओर अब इस देश की जनता इसको निरंतर साबित करती रही हैं।
देश में इन दलालों ने अपनी कब्र अब खुद खोद रखी है, जिस देश की सेना से ओर उनके सैनिकों के जज्बे से पूरे संसार के हर एक विकसित देश भयभीत रहते हैं आमने सामने की लड़ाई में कोई भारतीय सेना को नहीं हरा सकता ये बात पूरा संसार जानता है परन्तु फिर भी इन दलाल राजनेताओं ने देश की सेना के शौर्य पर सवाल उठाए इससे ज्यादा ओर नीच हरकत क्या हो सकती है??
समय समय पर इन दलालों ने अपने नापाक मंसूबों को सरेआम उजागर किया है ओर अब इस देश की जनता समझदार हो चुकी है वो इनकी बातो मे आके बहकती नहीं तो ये लोग दूसरे पैंतरे प्रयोग में लेने लगे है।
मेरा बस इतना ही मानना हैं की जो लोग देश की सेना के सगे नहीं हो सकते वो कभी किसी के सगे नहीं हो सकते, जों लोग सत्ता के लालच में देश की सेना पर भी सवाल उठा सकते हैं उनके लिए आम जनता का कोई मूल्य नहीं है।
देशहित में क्या है ओर क्या नहीं ये जनता को खुद जांच परख कर इन सत्ता के लालची भेड़ियों को सबक सिखाना चाहिए ओर वो दिन दूर नहीं है जब ये भेजिए इस देश की आम जनता के आगे दुम दबा के भागते नजर आएंगे।
राष्ट्रहित सर्वोपरि।
जय हिन्द जय भारत।

One comment

  1. बहुत ही सारगर्भित लेख है। परन्तु कलियुग अपने चरम पर है। वर्तमान राजनेता जयचन्द हैं।

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